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Amarnath Yatra: The Pinnacle of Faith-अमरनाथ यात्रा: 1मुस्लिम लड़के द्वारा खोजी गई गुफा का सच

Amarnath Yatra: The Pinnacle of Faith-अमरनाथ यात्रा: 1मुस्लिम लड़के द्वारा खोजी गई गुफा का सचAmarnath Yatra: The Pinnacle of Faith-अमरनाथ यात्रा: 1मुस्लिम लड़के द्वारा खोजी गई गुफा का सच

इस blog पोस्ट में  Amarnath Yatra: The Pinnacle of Faith आर्टिकल के ज़रिए हम आप की जानकारी को और भी बढ़ाने  का प्रयत्न करेगे  वैसे तो भारत के हर व्यक्ति  को अमरनाथ यात्रा का कम या अधिक ज्ञान होता ही है फिर भी हम प्रयत्न कर रहे है की संक्षिप्त मे अधिक बता सके |

अमरनाथ यात्रा भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के अनंतनाग जिले में स्थित समुद्रतल से 13600  फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है।  यह गुफा  भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। क्यों की इसी जगह पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।  जिसे सुनकर सद्योजात शुक-शिशु शुकदेव  ऋषि के रूप में अमर हो गये थे। इसी कारण अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है| आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई दे जाता है, जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी मानते हैं। वे भी अमरकथा सुनकर अमर हुए हैं।

अमरनाथ गुफा का इतिहास:

अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गडरिए  बूटा मलिक को चला था। ऐसा मन जाता है के  भगवान शिव ने साधू के भेष में आके बूटा मालिक को एक कोयले का थेला दिया,  घर जाकर थेला खोलने पर वह कोयले सोना बन चुके थे बूटा मालिक को यह देख करआश्चर्य हुआ वह साधू को खोजने जहा गुफा थी उस तरफ गया लेकिन वहां गुफा में बर्फ का लिंग दिखाई दिया| तब से लेकर आज भी चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को मिलता है। अमरावती नदी के रस्ते पर कई छोटी बड़ी बर्फ से ढकी  गुफाए  दिखती है |

अमरनाथ यात्रा 19वीं शताब्दी में शुरू हुई जब एक कश्मीरी पंडित महादेव कौल ने गुफा की फिर से खोज की।राजतरंगिणी नामक किताब में उन्होंने अपने इस अनुभव का वर्णन किया यह किताब काफी लोकप्रिय हुई, और लोगो को इस गुफा के बारे में पता चला,पिछले कुछ सालो में, अमरनाथ यात्रा भारत में सबसे लोकप्रिय तीर्थयात्राओं में से एक बन गई है। 2019 में 3 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने गुफा के दर्शन कियेभारत सरकार ने 2019 में, सुरक्षा कारणों और क्षेत्र में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण अमरनाथ यात्रा को कम करने का फैसला लिया। इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई, कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे थे तो कुछ इसका विरोध कर रहे थे।

यह अमरनाथ  यात्रा  अमरनाथ  गुफा के दर्शन के लिए होने वाली धार्मिक यात्रा है। यह यात्रा सनातन हिंदू धर्म के प्रमुख श्रद्धालुओं के बीच एक बड़ी और महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है।गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना इस गुफा की विशेषता को बढ़ा देता है | प्राकृतिक हिम से निर्मित शिवलिंग के दर्शन के  लिए लोकहो श्रद्धालु  आते है |

गुफा के ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। एक खास बात यह भी है के चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है | श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या  तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए।

इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है अमरनाथ गुफा के दर्शन, जिसे प्राकृतिक बर्फीले शिवलिंग की तस्वीर बनते हुए देखने के लिए यात्रा कि जाती है। यात्रा का यह अंश विशेष ध्यान और तपस्या की भावना से भरा  होता है।

इतिहास में यह यात्रा कई बार रुकने और शुरू होने का सामना कर चुकी है, जैसे कि युद्ध, आतंकवाद, भूकंप और प्राकृतिक आपदाएं यात्रा को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, श्रद्धालुओं की सामर्थ्य और संगठन के चलते यह यात्रा हमेशा जारी रहती है और लाखों लोग हर साल इसमें भाग लेते हैं।अमरनाथ यात्रा को धार्मिक, सांस्कृतिक, और पर्वतीय संस्कृति के साथ जोड़कर एक विशेष कार्यक्रम बना दिया गया है, जो हिंदू श्रद्धालुओं के लिए एक अनुभवात्मक और आध्यात्मिक सफलता है।

अमर नाथ यात्रा पर आप 2 रास्तो से हो कर जा सकते हो| पहला पहलगाम और दूसरा सोनमर्ग के करीब बालटाल से उस के बाद आप को पैदल ही जाना होगा अगर आप चाहे तो खच्चर वगेरह का भी इस्तेमाल कर सकते है बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी है 14 km लेकिन यह रास्ता काफी मुश्किल भरा है |और असुरक्षित  भी है इस लिए यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने को कहा जाता है |

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 अमरनाथ यात्रा मे कितना खर्च आता है ?

अमरनाथ यात्रा के दौरान आने वाले खर्च का भारतीय नागरिकों और विदेशी पर्वतारोहियों के लिए विभिन्न तत्वों पर निर्भर करता है। यह खर्च यात्रा के लिए चुने गए रूट, यात्रा की अवधि, आवास, खानपान, यातायात और अन्य खर्चों पर आधारित होता है।

नीचे दिए गए विभिन्न प्रतिमान आम तौर पर इस यात्रा के लिए आपको अपेक्षित खर्च के अंदाज़ देते हैं:

यात्रा की विधि: यात्रा को तीर्थयात्रा, हेलिकॉप्टर यात्रा, या ट्रेकिंग के माध्यम से किया जा सकता है। हेलिकॉप्टर यात्रा ज्यादा खर्चीली होती है, जबकि ट्रेकिंग कम खर्चीली होती है।

यात्रा की अवधि: यात्रा की अवधि पर भी खर्च का असर पड़ता है। यात्रा के दिनों के अनुसार आपको आवास, भोजन, और अन्य खर्चों का ख्याल रखना होगा।

आवास: यात्रा के दौरान आपको लगभग सभी स्थानों पर आवास की आवश्यकता होगी। यहां भी आपके रहने के विकल्प के अनुसार आपको खर्च का फर्क पड़ता है, जैसे कि धर्मशाला, होटल, या शिविर आदि।

भोजन: यात्रा के दौरान भोजन के खर्च भी जोड़ने की जरूरत होती है। यात्रा के लिए तैयार किए गए पैक्ड फूड या स्थानीय भोजन का भी खर्च आपको बर्दाश्त करना पड़ता है।

यातायात: यात्रा के लिए यातायात के भी खर्च होते हैं, जैसे कि जम्मू से अमरनाथ तक पहुंचने के लिए बस, टैक्सी, या हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
अन्य खर्च: इस यात्रा के दौरान आपको धार्मिक उपचार, पूजा सामग्री, चादर, यात्रा सुरक्षा का खर्च भी ध्यान में रखना होगा।

कृपया ध्यान दें कि ये खर्च के अंदाज़े हैं और वे व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं। इसलिए, यदि आप अमरनाथ यात्रा को करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको अपनी बजट के अनुसार तैयारी करनी चाहिए।

अमरनाथ कैसे पोहचे ?

रजिस्ट्रेशन: यात्रा के लिए पहले से ही ऑनलाइन या ऑफ़लाइन रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद ही आप यात्रा करने के लिए अनुमति प्राप्त कर पाएंगे।

यातायात: अमरनाथ यात्रा के लिए आपको सर्वाधिक नजदीकी शहर या गांव से पहले पहुंचना होगा। श्रीनगर या जम्मू यहां पहुंचने के दो मुख्य रास्ते हैं। जिस जिले से यात्रा शुरू होती है, वहां से आपको बसें, गाड़ियां या हेलिकॉप्टर सेवा का उपयोग करके अमरनाथ गुफा तक पहुंचना होगा।

शारीरिक तैयारी: यात्रा कुशलता और शारीरिक तैयारी की आवश्यकता होती है, क्योंकि यहां की शीत जलवायु, शीर्ष ऊँचाई, और कठिन भूमियों के कारण यात्रा कठिन हो सकती है। इसलिए संभव हो, अच्छे स्वास्थ्य और ताकतवर शरीर के साथ यात्रा करें।

सुरक्षा: यात्रा के दौरान सुरक्षा का विशेष ख्याल रखें। यहां के स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी की गई दिशा-निर्देशों का पालन करें और अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखें।

निष्कर्ष

मरनाथ यात्रा हिन्दू धर्म की  एक खास  तीर्थयात्रा है, जिसमें श्रद्धालु अमरनाथ गुफा तक पहुंचते  हैं, जहां पर्वतीश्वर भगवान शिव की विशाल बर्फ से ढका  शिवलिंग देखने को मिलता  हैं। यह यात्रा विशेष रूप से श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के दौरान की जाती है, जब श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक होती है।

अमरनाथ यात्रा धार्मिक दृष्टिकोन से बहुत खास है। यहां पर्वतीश्वर भगवान शिव की शिवलिंग को देखने का अवसर मिलता है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव है। यह यात्रा भगवान शिव के श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक सम्मान का प्रतीक है।
अमरनाथ यात्रा शारीरिक और मानसिक परिश्रम भरी होती है। श्रद्धालुओं को लम्बी पैदल यात्रा और कठिन पथों को तय करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और शक्ति की ज़रूरत होती है।

यात्रा के दौरान संगठन और सुरक्षा का ध्यान रखना बोहोत ज्यादा ज़रूरी है। स्थानीय प्रशासन और पर्वतारोही संगठन श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा की जिम्मेदारी लेते हैं। श्रद्धालुओं को उचित दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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