Gujarat The Monarch of Commerce – गुजरात की प्राचीन राहों की कहानिया- ज्ञान की धाराएँ 2024
चलिए आज जानते है| Gujarat The Monarch of commerce- गुजरात की प्राचीन राहो की कहानिया – ज्ञान की धाराएँ में जानेगे बोहोत कुछ
गुजरात की तटरेखा 1,600 किमी (990 मील) है और यह भारत के पश्चिम में स्थित भारत का प्रमुख राज्य है। गुजरात भारत का पांचवां सबसे बड़ा राज्य है, जबकि जनसंख्या के हिसाब से नौवां है। गुजरात के उत्तर-पूर्व में दादरा और नगर हवेली हैं, दक्षिण में दमन और दीव हैं, दक्षिण-पूर्व में महाराष्ट्र है, और पूर्व में मध्य प्रदेश और अरब सागर है.पश्चिम में पाकिस्तान का सिंध प्रान्त है। गुजरात कई स्थापत्य चमत्कारों का घर है, जो अपनी जीवंत संस्कृति, समृद्ध विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और स्वादिष्ट भोजन के लिए जाना जाता है। गुजरात की राजधानी गांधीनगर है।
गुजरात का इतिहास:
सिंधु घाटी गुजरात की सब से खास जगहों में से एक थी गुजरात का इतिहास विशाल है। गुजरात को कई हजारों वर्षों तक गुर्जर ने शासन किया था, इसलिए इसे गुजरात भी कहा जाता है गुजरात का इतिहास पाषाण युग के बस्तियों से शुरू हुआ, फिर चोलकोथिक और कांस्य युग के बस्तियों, जैसे सिंधु घाटी सभ्यता माना जाता है के गुजरात का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से अस्तित्व में आया सिंधु घाटी गुजरात की सब से खास जगहों में से एक थी| गुजरात का इतिहास लगभग 2000 ईसवी पूर्व से शुरू होता है। सबसे हालिया खोज गोला ढोरो की थी कुल मिलाकर, गुजरात में लगभग 50 सिंधु घाटी के खंडहर खोजे गए हैं।
एसा मन जाता है कृष्ण मथुरा को छोड कर गुजरात के पश्चिमी सौराष्ट्र में बसे थे|जो द्वारिका (प्रवेशद्वार) कहलाया बाद में मौर्य, गुप्त, गुर्जर प्रतिहार और अन्य राजवंशों ने इस क्षेत्र पर राज किया। गुजरात में चालुक्य राजवंश, या सोलंकी राजवंश, सुख-समृद्धि का दौर था। महमूद गजनवी की लूटपाट के बावजूद, चालुक्य राजवंश ने यहां के लोगों की सुख-समृद्धि की पूरी चिन्ता की। यहाँ पर प्रतिहार वंश के कई राजा महाराजा ने राज किया है।
गुजरात एक राज्य है जो पश्चिमी भारत में है। पाकिस्तान इसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा है और इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा है। राजस्थान और मध्य प्रदेश देश के उत्तर और उत्तर-पूर्व में हैं। दक्षिण में महाराष्ट्र है। इसका पश्चिमी-दक्षिणी किनारे अरब सागर है। नगर-हवेली और दादर इसकी दक्षिणी सीमा हैं। गांधीनगर राज्य की राजधानी है। अहमदाबाद, राज्य का प्रमुख व्यवसायिक केंद्र, गांधीनगर के निकट है। गुजरात का क्षेत्रफल 1,962,024 किमी है।
गुजरात पहले गुर्जरत्रा प्रदेश कहलाता था। उसकी प्रादेशिक सांस्कृतिक परंपरा में कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात शामिल हैं। राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश इनकी लोक संस्कृति और साहित्य से जुड़े हैं। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युगों से पहले ही कई विदेशी जातियाँ थल और समुद्र से आकर स्थायी रूप से बसी हैं। इसके अलावा, गुजरात में 70 आदिवासी जातियां हैं। यहाँ की जनसंख्या इतनी विविध है कि विभिन्न जातीय संस्कृतियों का लाभ मिला है।
गुजरात का इतिहास पाषाण युग से शुरू होता है। सिंधु घाटी की चोलकोथिक और कांस्य युग की सभ्यता इसके बाद विकसित हुई।गुजरात राज्य के पश्चिम में एक बड़ा सागर तट है। माना जाता है कि इस तट पर बसे पहले लोग अफ्रीका के पूर्वी किनारे से आए होंगे। इस अनुमान का आधार यह है कि हिमालय का सृजन तब हुआ था जब अफ्रीका भारत के पश्चिम से अलग हो गया था। इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता, खासकर इस भौगोलिक नवसृजन की प्रक्रिया को देखते हुए। कि एक आदिमानव जाति जो अफ्रीका में बसी हुई थी|
वहीआज भी सौराष्ट्र में बसी हुई है|नक़्शे को ठीक से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि दोनों क्षेत्र एक दूसरे से अलग हुए और अरब सागर उनके बीच का भाग बना । दुनिया में केवल दो ही जगह पर सिंहों की आबादी देखने को मिलेगी गुजरात के सौराष्ट्र में गिर के जंगल और अफ्रीका के जंगल में अफ्रीका के सिंहों और गिरि के भारतीय सिंहों में अंतर पर्यावरणीय विभिन्नताओं के साथ सामंजस्य बैठाने के कारण है
वैज्ञानिकों का मानना है जो सिंहों पर अध्ययन कर रहे है की एशिया में रहने वाले सिंहों औरअफ्रीकन सिंहों का विकास एक ही मूल से हुआ है |इस से पता चलता है के गुजरात का इतिहास हिमालय के सृजन से भी पहलेका है |
इसके बाद पाषाण युग के प्रगैतिहासिक काल, ताम्र व कांस्य युग, और ईसा पूर्व 322 से 1304 तक के कालखंड हैं। इन कालखंडों में यहाँ कई जातियां आईं। वे यहाँ पहुंचीं और बस गईं। नृवंश शास्त्रियों ने पाया कि सत्तर से बाइस लाख वर्ष पहले गुजरात में नीग्रो या निग्रिटो जाति के लोग रहते थे। इसका सबूत हमें सौराष्ट्र क्षेत्र में उनके अस्थि-पिंजर से मिले हैं, जिनके सिर लंबे, कद साधारण, कपाल उभरा हुआ, भौहें और होंठ लटके हुए थे|
बाद में, गुजरात-सौराष्ट्र के भू-भाग और उसके निवासियों के कई उल्लेख पौराणिक और वेदकालीन साहित्य में मिलते हैं। यहां विभिन्न जातियों के आगमन और बसने का इतिहास ऐतिहासिक युग के प्रारंभ से जुड़ा हुआ है। इसलिए गुजरात और उसके लोगों का इतिहास बहुत प्राचीन और जीवंत है, जो हिमालय जैसे भू-भौगोलिक बदलाव से पहले ही शुरू हुआ था।
गुजरात की राजधानी:
गांधीनगर गुजरात राज्य की राजधानी है|यह शहर साबरमती नदी के कि नारे बसा हुआ है|यह शहर अहमदाबाद से 23 km दूर है |पहले गुजरात की राजधानी अहमदाबाद थी फिर 1970 में गाँधी नगर कर दी गई 1 मई, 1960 को पुराने मुंबई राज्य से गुजरात राज्य को अलग किया गया | शुरू में गुजरात की राजधानी अहमदाबाद को बनाया गया| लेकिन अहमदाबाद शहर की जनसंख्या धनत्व को कम करने के लिए, 2 अगस्त, 1965 गांधीनगर शहर की स्थापना की गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में नई राजधानी का नाम गांधीनगर रखा गया।
जलवायु की अगर बात करे तो इस शहर की जलवायु गर्म अर्ध-शुष्क जलवायु होती है, जिसमें बहुत गर्म ग्रीष्मकाल, हल्की सर्दियाँ और जून से सितंबर तक मानसून का मौसम होता है। इस शहर में 30 सेक्टर है जिनमें से प्रत्येक लगभग 1 वर्ग किलोमीटर का है। प्रत्येक सेक्टर का अपना -अपना कार्य है| जैसे प्रत्येक
सेक्टर का अपना बाज़ार, स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र और प्राथमिक विद्यालय है, जो यह तय करता है कि निवासियों को लोगो को आवश्यक सेवाओं के लिए दूर न जाना पड़े|
शहर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह सरखेज-गांधीनगर राजमार्ग (एसजी राजमार्ग) और राष्ट्रीय राजमार्ग 147 द्वारा अहमदाबाद से जुड़ा हुआ है।
सार्वजनिक परिवहन की बात करे तो यह एक मजबूत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है इस प्रणाली में बसों के अलावा मेट्रो द्वारा भी सेवा दी जाती है, जो गांधीनगर तक फैली हुई है।
भूगोल :
गुजरात का क्षेत्र स्वतन्त्रता से पहले 2 भागो में विभाजित था एक ब्रिटिश रियासत थी और दूसरा देशी रियासतें थीं। राज्यों के पुनर्गठन के बाद,सौराष्ट्र के राज्यों कच्छ के केन्द्र शासित प्रदेश को मिलाकर एक द्विभाषी बम्बई राज्य बना। और 1 मई 1960 को आज का गुजरात राज्य बन। भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात स्थित है। इसके उत्तर में पाकिस्तान , उत्तर-पूर्व में राजस्थान है, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश है, और पश्चिम में अरब सागर है। गुजरात राज्य का क्षेत्र 1,96,024 वर्ग किमी है |
अर्थव्यवस्था:
उद्योग : धीरे-धीरे राज्य के औद्योगिक ढाँचे में विविधता आती जा रही है, जिससे रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, विद्युत आदि क्षेत्रों का विकास हो रहा है। 2004 के अंत में, राज्य में पंजीकृत चालू फैक्टरियों की संख्या 21536 थीं, जिसमें औसतन 9.27 लाख दैनिक कर्मचारी काम करते थे। मार्च 2005 तक, राज्य में 2.9 लाख लघु औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत थीं। गुजरात औद्योगिक विकास निगम को औद्योगिक संपदाओं को विकसित करने का काम सौंपा गया है, जिसमें ढाँचागत सुविधाएं शामिल हैं। 2005 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 237 औद्योगिक परियोजनाओं का उद्घाटन किया था।
कृषि : गुजरात के जंगलो में सागवान ,खैर हल्दारिया, सादाद और बास जैसे वृक्षों की जातियाँ पाई जाती है |इस के अलावा कपास, तम्बाखू,और मुगफली भी गुजरात में अधिक् मात्रा में होती है इस के अलावा कपडा, तेल,और साबुन जैसे उद्योगों के लिए भी इस राज्य में कच्चा माल उपलब्ध होता है |
सिंचाई और बिजली: गुजरात में भूतलीय और भूमिगत जल से कुल 64.48 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता है, जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की 17.92 लाख हेक्टेयर क्षमता शामिल है। जून 2005 तक राज्य की कुल सिंचाई क्षमता 40.34 लाख हेक्टेयर है। जून 2007 तक राज्य की कुल सिंचाई क्षमता 42.26 लाख हेक्टेयर थी। जुन 2007 तक, 37.33 लाख का हेक्टेयर अधिकतम उपयोग किया गया था।
शिक्षा:
शिक्षा अच्छी मिले इस लिए ज़्यादातर सभी गाँवों में सात से ग्यारह वर्ष के सभी बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशालाएँ खोली गई है |आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ कला और शिल्प की शिक्षा देने के लिए विशेष विद्यालय चलाए जाते हैं।इस के अलावा यहाँ अनेक माध्यमिक और उच्चतर विद्यालयों के साथ विश्वविद्यालय भी मौजूद है |
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी – सूरत
डॉ बाबा साहेब मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी – अहमदाबाद
गुजरात यूनिवर्सिटी – अहमदाबाद
सरदार पटेल यूनिवर्सिटी
सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी – राजकोट
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – गांधीनगर
भक्त कवी नरसिह मेहता यूनिवर्सिटी
निरमा यूनिवर्सिटी
महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी – बड़ोदा
गणपत यूनिवर्सिटी – मेहसाणा
भाषा:
हिन्दी और गुजराती राज्य की अधिक बोली जाने वाली भाषाएं हैं। गुजराती दोनों में सबसे अधिक बोली जाती है. यह संस्कृत, प्राचीन भारतीय मूल भाषा प्राकृत और १०वीं शताब्दी के बीच उत्तरी और पश्चिमी भारत में बोली जाने वाली अपभ्रंश भाषा से निकलती है। गुजरात को अंग्रेज़ी, फ़ारसी, अरबी, तुर्की और पुर्तग़ाली शब्दों का परिचय समुद्री मार्ग से हुआ। गुजराती में महात्मा गांधी की अद्भुत रचनाएं सादगी और ऊर्जस्विता के लिए जानी जाती हैं।
गुजरात की राजभाषा गुजराती के अलावा हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। नवीनतम भारतीय–आर्य भाषाओं के दक्षिण–पश्चिमी समूह में गुजराती भाषा शामिल है। इतालवी लेखक तेस्सितोरी ने प्राचीन गुजराती को भी प्राचीन पश्चिमी राजस्थानी कहा, क्योंकि उनके समय में यह भाषा भी उस क्षेत्र राजेस्थान में बोली जाती थी,
धर्म:
गुजरात में अधिकांश लोग हिन्दू हैं, लेकिन कुछ लोग इस्लाम, जैन और पारसी हैं। जैन धर्म ने भी भारत के अन्य जगहों की तुलना में गुजरात में अपनी गहरी छाप बनाई इस के अलावा फारसी भी जिन को पारसी बोला जाता है फारस से भाग कर गुजरात के किनारे ही आके बसे थे |
गुजरात की प्रमुख आदिवासी जनजातियाँ
गुजरात को अनुसूचित जनजातियों के केंद्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस राज्य में लगभग 29 प्रमुख जनजातियाँ हैं, जैसे गामिथ, धोदिया, सिद्दी, कुंबी, भील बाड़ा, वासवास और अन्य। गुजरात के आदिवासी लोगों का मूल प्रवास है। गुजरात के आदिवासी लोगों का मानना है कि प्रकृति बहुत धार्मिक है क्योंकि पत्थर, स्थान और जीव सब आध्यात्मिक हैं।
भील: भील भारत और गुजरात की सबसे पुरानी आदिवासी जाति है। और वे अपनी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज, बोली भाषा, कपड़े, आभूषण आज भी संभाले हुए है और ये जाती प्रकृति की पूजा करते हैं। इन के अलग-अलग देवता हैं। उनकी प्राथमिक भाषा भीली है। गुजरात के पूर्वोत्तर क्षेत्र में भील आदिवासी अधिक हैं। गुजरात के बनासकांठा, साबरकांठा, अरवल्ली महिसागर, दाहोद, पंचमहाल, बड़ोदरा ग्रामीण, छोटा उदयपुर, नर्मदा, भरूच तापी, सूरत, नवसारी, डांग और वलसाड में भील की बस्ती है।गुजरात के पहले शासकों में से एक हैं।
कोलीः कोली और भील जनजाति ने साथ मिलकर इतिहास में कई युद्ध लड़े हैं।
काठी दरबार: काठी दरबारियों का मानना है कि वे भगवान सूर्यनारायण के वंशज हैं। काठी के बारे कहते है कि काल मुके पण काठी अपना बेर मुके नहीं। गुजरात से काठी समाज का इतिहास जुडा है। काठी समाज मूल गुजरती है।
राजपूत: यह लोग मूल रूप से राजस्थान के माने जाते है| और वे साहसी और निर्भय होते है । गुजरात में कई राजपूत राजा हुए|
रबारी: रबारी समाज की सबसे बड़ी संपत्ति भेस, बकरी, भेड़, उट और चराई है। रबारी लोगों का इतिहास राजपूत लोगों से संबंधित है, जो राजस्थान के मूल निवासी हैं। राजपूतों के साथ मिल कर रबारी समाज ने कई युद्ध लड़े हैं। रबारियों में भी देवताओं का निवास होता था, इसलिए इन्हें देवासी भी कहा जाता है |
गुजरात के पर्यटन स्थल:
- अम्बा जी मंदिर
- गिर वन
- साबरमती आश्रम
- अहमदाबाद
- गिरनार
- महाराज फतेह सिंह संग्रहालय
- नागेश्वर जोतिर्लिंग
- पोलो वन
- पोरबंदर
- प्राग महल
- गाधी नगर
- चंपानेर पावागढ़
- सोमनाथ मंदिर
- गिर नेशनल पार्क
- पोरबंदर बीच
- मरीन नेशनल पार्क
- जुनागढ़
- सापूतारा
- खिजडिया पक्षी अभयारण्य
- सूरत
- पाटन
- लक्ष्मी विलास पैलेस
गुजरात की संस्कृति और परम्परा
गुजरात की विशाल सांस्कृतिक विरासत इस सुंदर राज्य के कई पहलुओं को दर्शाती है। गुजरात के सांस्कृतिक जीवन में पारंपरिक कला और शिल्प, आदिवासी नृत्य, लोक गीत, स्थानीय त्योहार और मेले और विविध सांस्कृतिक उत्सव शामिल हैं। गुजरात, भारत के अधिकांश राज्यों की तरह, विभिन्न धर्मों के लोगों से भरपूर है। यही कारण है कि संस्कृतियों और परम्परायों का संबंध उनकी मान्यताओं, रीति-रिवाजों, परंपराओं, संस्थाओं और प्रथाओं में स्पष्ट है। शिक्षा, धार्मिक मान्यताओं और कला लक्षणों के विकास के कारण आदिवासी लोग एक संतुलित जीवन शैली दिखाते हैं। गाय को माता मानकर भक्तिपूर्वक पूजा जाता है।
गुजरात से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :
1.गुजरात भारत का जनसंख्या के हिसाब से नौवां और क्षेत्रफल के हिसाब से पांचवां सबसे बड़ा राज्य है।
2.गुजरात का क्षेत्रफल 1,96,024 किमी2 है, लेकिन 2013 की रिपोर्ट के अनुसार 6,27 करोड़ लोग रहते हैं।
3.अहमदाबाद गुजरात का सबसे बड़ा शहर है, लेकिन गांधीनगर इसकी राजधानी है।
4.गुजरात में फिलहाल 33 जिले हैं।
5.गुजरात भारतीय राज्यों में मानव विकास सूचकांक में 21 वें स्थान पर है।
6.गुजरात में गिर वन राष्ट्रीय उद्यान दुनिया में एशियाई शेर की एकमात्र जंगली आबादी है।
7.गुजरात, बिहार और नागालैंड सहित चार भारतीय राज्यों में से एक है जो शराब की बिक्री को प्रतिबंधित करते हैं।
गुजरात की पारंपरिक वेशभूषा:
पटोला रेशम, गुजराती संस्कृति को दर्शाता है। महिलाओं की मुख्य पोशाक चानिया चोली है, खासकर नवरात्रि उत्सव के दौरान यह ब्लाउज के साथ पहनी जाने वाली लंबी, भारी स्कर्ट और चुन्नी नामक दुपट्टा है, जिस पर सभी मिरर वर्क होते हैं। जबकि पुरुष नवरात्रि के दौरान केडीया पोशाक नामक विचित्र परिधान पहनते हैं कच्छ की महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला पारंपरिक कपड़ा आभास है। पुरुष अक्सर धोती और कुर्ता पहनते हैं। पारंपरिक दुल्हन की पोशाक में ज़री-कढ़ाई और लाल बान्धनी बॉर्डर वाली सफ़ेद पैंथर साड़ी है। जबकि दूल्हे का कुर्ता एक जटिल कढ़ाई से सजा होता है।
गुजरात में मनाये जाने वाले उत्सव और त्यौहार:
मेले और त्यौहार उसकी विविध संस्कृति के वास्तविक रंगों और जीवंतता को दिखाते हैं। गुजरात में नवरात्रि महोत्सव, दीपावली, रथयात्रा और पतंग उत्सव जैसे त्योहारों पर हजारों लोग घूमते हैं। राज्य में हर साल शामलाजी मेलो, भद्रा पूर्णिमा मेलो और महादेव मेलो भी होते हैं। गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ में मनाया जाने वाला रण उत्सव भी एक बड़ा उत्सव है जो संगीत, नृत्य और प्राकृतिक सुंदरता का एक अद्भुत मिश्रण है।
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conclusion
Gujarat The Monarch of Commerce ब्लॉग में गुजरात की पूरी जानकारी दी गई है| जैसे भारत के पश्चिमी तट पर स्थित गुजरात अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक जीवंतता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह राज्य महात्मा गांधी का जन्मस्थान है और इसका औद्योगिक आधार मजबूत है, जो कपड़ा, पेट्रोकेमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स और हीरा प्रसंस्करण में उत्कृष्ट है। गुजरात का व्यापार-अनुकूल वातावरण और रणनीतिक नीतियाँ महत्वपूर्ण निवेश को आकर्षित करती हैं,
जिससे मजबूत आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है। सांस्कृतिक रूप से जीवंत, राज्य नवरात्रि जैसे त्यौहारों को उत्साह के साथ मनाता है और अपने व्यंजनों और पारंपरिक कलाओं के लिए प्रसिद्ध है। बुनियादी ढांचे का विकास और नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना गुजरात की परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण को और उजागर करता है, जो इसे भारत में एक महत्वपूर्ण और प्रगतिशील राज्य बनाता है।