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Nepal Historical Journey-नेपाल ऐतिहासिक यात्रा 2024

Nepal Historical Journey-नेपाल ऐतिहासिक यात्रा 2024

Nepal Historical Journey-नेपाल ऐतिहासिक यात्रा2024

Nepal Historical Journey-नेपाल ऐतिहासिक यात्रा 2024

आज जानेगे Nepal Historical Journey-नेपाल ऐतिहासिक यात्रा के बारे में तो चलिए तैयार हो जाए जानकारी के एक ने सफ़र पर जाने के लिए|एशिया के दक्षिण भाग में हिमालय में बसा हुआ है नेपाल देश| इस देश की आबादी30 मिलियन है| दुनिया की दस सबसे ऊंची चोटियों में से आठ  नेपाल के भीतर है इन ही ऊँची चोटियों  में  माउन्ट एवरेस्ट भी है|

नेपाल का इतिहास :

काठमांडू उपत्यका में पाये गये नवीन पाषाण औजार से पता चलता है के हिमालय क्षेत्र में मनुष्यों का आगमन लगभग 9,000 वर्ष पहले हुआ था। 2,500 वर्ष पूर्व, तिब्बती-बर्माई लोग नेपाल में आए थे।5,500 ईसा पूर्व महाभारत काल में, कुन्ती पुत्र पाँचों पाण्डव स्वर्गलोक की ओर जा रहे थे, तब पाण्डवों में से एक भीम ने भगवान महादेव से मिलने की मांग की। तभी भगवान शिव ने उनको एक लिंग दिखाया, जो आज “पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग” कहलाता है। 1,500 ईसा पूर्व के आसपास, हिन्द-आर्यन लोग काठमांडू उपत्यका में आए

1,000 ईसा पूर्व में, छोटे-छोटे राज्य और राज्य संगठन बनें। 7,500 ईसा पूर्व में भगवान श्रीराम की पत्नी माता सिताजी का जन्म नेपाल के जनकपुर में हुआ था।ईसा पूर्व 563 से 483 तक नेपाल के लुम्बिनी में जन्मे सिद्धार्थ गौतम, शाक्य वंश के राजकुमार थे, जिन्होंने राजपाठ को ठुकरा कर तपस्वी बने और  बुद्ध कहलाए |

चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में कश्मीर, नेपाल, बंगाल और मालवा भी शामिल थे । अशोक के काल में नेपाल मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था। क्योंकि बिन्दुसार ने किसी क्षेत्र को जीता हो इसका कोई प्रमाण नहीं मिला  इसलिए इसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने ही जीता था।चंद्रगुप्त द्वितीय ने नेपाल पर राज किया रामायण काल के महाराज दशरथ की रानी कैकई, कैकई राज्य के राजा की पुत्री थी और नेपाल पूर्व में भारत का हिस्सा था। यह कैकई राज्य पहले नेपाल का हिस्सा था।राजा जनक का राज्य और सीता का जन्म नेपाल में हुआ था । नेपाल आज भी इसका उदाहरण है।

मल्ल का थर वाले संस्कृत शब्द का प्रयोग 13वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में होने लगा। 200 वर्षों में इन राजाओं ने एक साथ बल जमा लिया। 14वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में देश का एकीकृत राज्य बन गया। इसके बावजूद, यह समझौता बहुत कम समय तक चला: 1482 में राज्य तीन भागों में विभाजित हो गया: कान्तिपुर, ललितपुर और भक्तपुर. शताव्दियौं तक इनमें से कोई भी एक साथ नहीं रह सका।

नेपाल का इतिहास बहुत ही प्राचीन और रिच है, जिसमें विभिन्न कालक्रमों में राजवंश, सम्राट, युद्ध, सांस्कृतिक विकास और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। यहां मैं नेपाल के इतिहास को विभिन्न युगों में विस्तार से प्रस्तुत करने का प्रयास करेगे |

प्रागैंकाल: नेपाल का इतिहास प्रागैंकाल से शुरू होता है। इस कालक्रम में नेपाल विभिन्न राजवंशों के तहत विभाजित था। गोपालवंश, जिनकी शुरुआत लगभग 250 ईसा पूर्व में हुई, काठमाडौं राज्य के रूप में था। उनके बाद, किराँत राज्य विकसित हुआ, जिसका मुख्य केन्द्र किराँतपुर था। इस युग में लिच्छवी और शाखा जैसे राजवंश भी महत्वपूर्ण थे।

लिच्छवीकाल: लिच्छवीकाल नेपाल के इतिहास के दूसरे कदम की शुरुआत है, जिसका आरंभ 700 ईसा में हुआ। इस युग में काठमाडौं को उपनगर बनाया गया और पाटन और भक्तपुर जैसे और शहरों का निर्माण हुआ। यह युग नेपाली संस्कृति, कला और साहित्य के बढ़ते अवदान के रूप में महत्वपूर्ण था। लिच्छवी राजाओं ने नेपाल को एक एकीकृत राज्य बनाने का प्रयास किया।

मल्लकाल: मल्लकाल नेपाल के इतिहास के तीसरे युग के रूप में आता है, जिसका प्रारंभ 1250ईसा में हुआ। इसके दौरान नेपाल में नेपाली भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति और शैली का विकास हुआ। इस युग में काठमाडौं, पाटन, भक्तपुर, पोखरा, पाल्पा, तानसेन, आदि सहर विकसित हुए, जिनमें से कुछ सहर आज भी उपलब्ध हैं।

शाह राज्यकाल: 1750  में पृथ्वीनारायण शाह ने नेपाल में शाह राज्य की स्थापना की। उन्होंने अनेक छोटे राज्यों को एकीकृत करके नेपाली साम्राज्य की नींव रखी। उनके बाद, उनके संतान कृष्ण प्रसाद शाह ने गणराज्य की स्थापना की। हालांकि, उसके बाद कई शासकों का आगमन हुआ, जिनमें गणेश बहादुर र राणा शासकों का आविर्भाव हुआ। यह काल नेपाल के राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन के रूप में महत्वपूर्ण रहा।

आधुनिक काल: 2028में नेपाल ने फिर से गणतंत्र बनाया और पुरानी राजवंश प्रणाली को समाप्त किया। यह समय आधुनिक नेपाल के निर्माण और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण रहा है।

नेपाल का इतिहास इन युगों में विभिन्न राजवंशों, सम्राटों, युद्धों, सांस्कृतिक विकास और राजनीतिक परिवर्तनों के साथ बदलता रहा है। यह एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भरपूर और अद्वितीय रहा है, जिसमें नेपाल की संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व और भूगोलिक स्थिति का परिचय मिलता है।

नेपाल की राजधानी :

काठमांडू नेपाल की राजधानी है यह शहर बाधमती और विष्णुमती नदियों का जहा संगम होता है उस पहाड़ी जगह में बसा हुआ है|

राजा गुणकामदेव के द्वारा इस शहर की स्थापना 723 ई. में की गई थी इस का प्राचीन नाम मंजू-पाटन था लेकिन बाद में ईस का नाम बदल कर काठमांडू कर दिया गया काठमाण्डु नेपाल का सबसे बड़ा शहर है, जहां पर्यटक का सबसे ज़्यादा आगमन होता हैं। इस शहर के चारो तरफ पहाड़िया है यह नगर  यूनेस्को की विश्‍व धरोहरों में शामिल हैं। काठमांडू शब्द संस्कृत शब्द काष्ठमण्डप से लिया गया है| इस जगह बना  गोरखनाथजी का मंदिर प्राचीन समय में यात्रुऔं का विश्रामस्थल था। इस भवन को एक ही पेड़ की लकड़ी से बनाया गया इस कारण इस शहर का नाम काठमांडू रखा गया|

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भूगोल:

नेपाल का भूगोल अत्यंत विविध और आकर्षक है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी भाग में स्थित एक भूमि-बद्ध देश है। नेपाल के भूगोल को तीन मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है

नेपाल का भूगोल तीन हिस्सों से बना है: पर्वतीय क्षेत्र, शिवालिक क्षेत्र और तराई क्षेत्र। महाभारत पर्वत श्रृंखला और चुरिया श्रृंखला के बीच स्थित उपत्यकाओं का एक समूह ‘भित्री मधेस’ कहलाता है। यह स्थान पहाड़ों और तराई के बीच में है। नेपाल की प्रमुख नदियों ने देश की पूर्व-पश्चिम दिशा में हिमाली पहाड़ियों और तराई क्षेत्रों को अलग-अलग किया है।

नेपाल मानचित्र पर एक तिरछे सामानान्तर चतुर्भुज का आकार है। नेपाल की कुल लम्बाई करीब 800 किलोमीटर है, जिसकी चौड़ाई 200 किलोमीटर है। 1,47,516 वर्ग km का नेपाल का कुल क्षेत्रफल है।

नेपाल में दुनिया की कुछ सबसे ऊँची पर्वत चोटियाँ शामिल हैं, जैसे माउंट एवरेस्ट (सगरमाथा), जो दुनिया की सबसे ऊँची चोटी है।अन्य प्रमुख चोटियों में कंचनजंगा, ल्होत्से, मकालू आदि शामिल हैं।यह क्षेत्र अत्यंत ठंडा और दुर्गम है,

और यहां बर्फ से ढके पहाड़, ग्लेशियर और ऊंचाई पर स्थित घाटियाँ पाई जाती हैं।यह इलाका  नेपाल के दक्षिणी भाग में स्थित है और भारत की सीमा से लगा  है।यह क्षेत्र मैदानी है और इसकी ऊंचाई 70 मीटर से 600 मीटर तक होती है।तराई क्षेत्र कृषि के लिए अत्यंत उपजाऊ है

और यहां चावल, गन्ना, तिलहन और अन्य फसलें उगाई जाती हैं।यह क्षेत्र घने जंगलों, वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों से भी समृद्ध है।नेपाल की प्रमुख नदियाँ गंगा नदी की सहायक नदियाँ हैं, जैसे कि काली गंडकी, कोशी, और करनाली। इन नदियों ने नेपाल की कृषि और जल संसाधनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नेपाल का मौसम विविध है, जिसमें तराई क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय से लेकर हिमालयी क्षेत्र में आर्कटिक जैसी जलवायु तक शामिल हैं।

स्थान और सीमाएं:

नेपाल भारत और चीन से घिरा हुआ है। यह बंटियों के साथ भारत की तरह दक्षिण से चीन को छू रहा है।
नेपाल का सीमांतर लक्ष्य हिमालय की चोटियों पर होते हैं, जिनमें दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत चोयु ल्हा (माउंट एवरेस्ट) भी शामिल है।

मुख्य नदियाँ:

नेपाल का तराई फाट भारतीय-गंगा के मैदान का उत्तरी भाग  से जुडा है इस भाग की सिंचाई तथा भरण-पोषण मे तीन नदियों का मुख्य योगदान है|तथा तराई क्षेत्र फसलों की खेती के लिए प्रसिद्ध है और यहां पशुपालन भी महत्वपूर्ण धंधा है।नेपाल की मुख्य नदी गंगा नदी का स्रोत है, जो यहाँ से बहकर भारत में जाती है।कोशी, गांधकी, नारायणी, गोसाइंगा, आदि अन्य नदियाँ भी नेपाल में बहती हैं और कृषि और जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जलवायु:

नेपाल का जलवायु विभिन्न रेंजों के आसपास भिन्न-भिन्न हो सकता है। हिमालय क्षेत्र में ठंडी होती है, जबकि तराई क्षेत्र में गर्मी और उच्च वर्षा रहती है। नेपाल का भूगोल उसकी विविधता, प्राकृतिक सौन्दर्य और पर्वतीय क्षेत्र के अद्वितीयता के लिए प्रसिद्ध है। इसके पर्वतीय प्राकृतिक सौन्दर्य, प्रकृति के खेलों के लिए एक बड़ा ब्रांड बना दिया है और यह दुनियाभर के पर्वतारोहण और पर्वतीय आकर्षणों के लिए एक प्रमुख स्थल है।

अर्थव्यवस्था:

76%जनसँख्या कृषि पर निर्भर है  कुल ग्राह्यस्थ उत्पादन का39%, सेवा क्षेत्र का 39% और उद्योग का21% आय का स्रोत है । देश का उत्तरी दो-तिहाई हिस्सा पहाड़ी और हिमालयी है, इसलिए सडकें, पुल और अन्य संरचना बनाना मुश्किल और खर्चीला होता है। 2003 तक, पिच सड़कों की लंबाई 8,500 km से कुछ अधिक है, जबकि रेलवे लाइन दक्षिण में सिर्फ 59 किमी है।

48 धावनमार्गों और उनमें से 17 पिचहोने से हवाईमार्ग की स्थिति बेहतरीन है। अधिकतर प्रत्येक बारह लोगों को एक टेलीफोन की फेसिलिटी दी जाती है     तारजडित सेवा देश भर में उपलब्ध है, लेकिन अधिकांश शहरों और जिला मुख्यालयों में मोबाइल सेवा की स्थिति देशभर में काफी अच्छी है क्योंकि यह सस्ता है  और इस का  उपयोग  हर व्यक्ति आसानी से  कर सकता है |

2005 में 1,75,000 इन्टरनेट जडान थे, लेकिन “संकटकाल” लागू होनेके बाद कुछ समय तक सेवा ठप रही थी। कुछ समय बाद, नेपाल में हुई दूसरी बड़ी जनआन्दोलन ने राजा की निरंकुशता को समाप्त कर दिया, जिसके बाद सभी इन्टरनेट सेवाएं बिना किसी समस्या के काम करने लगीं

शिक्षा:

सन् 1854 में राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा की विदेश यात्रा के बाद नेपाल में दरबार हाईस्कूल की स्थापना हुई, जो आज रानीपोखरी किनारे स्थित भानु मा.बि. है. इससे पहले देश में सिर्फ कुछ धर्मशास्त्रीय दर्शन पर आधारित शिक्षा दी जाती थी। 1854 में आधुनिक शिक्षा शुरू होते हुए भी आम लोगों के लिए यह असुविधाजनक था। लेकिन हाई स्कूल की शुरुआत के बाद देश भर में कुछ विद्यालय दरबार खुलना शुरू हुए।

लेकिन काठमांडू में राहहुवा त्रिचन्द्र कैम्पस नेपाल का पहला विश्वविद्यालय है। इस कैंपस का नाम राणा प्रधानमन्त्री चन्द्र सम्सेर ने राजा त्रिभुवन से जोड़ा था। इस संस्थान की स्थापना के बाद नेपाल में उच्च शिक्षा पाना बहुत आसान हो गया, लेकिन 1959 तक देश में कोई विश्वविद्यालय नहीं बनाया गया था। 1959 में, राणा शासन से मुक्त देश ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय की स्थापना की। बाद में महेन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय भी खोला गया।

सरकार ने हाल ही में चार अतिरिक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना की घोषणा भी की है। नेपाल में शिक्षा का विस्तार और नियंत्रण करने वाले विभागों में शिक्षा विभाग, पाँच क्षेत्रीय शिक्षा निदेशालय, पचहतर जिल्ला शिक्षा कार्यालय, सानोठिमी परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय, उच्चमाध्यामिक शिक्षा परिषद्, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र और कई विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय शामिल हैं।।

पर्यटन स्थल :(नेपाल में घुमने की जगह )

लुम्बिनी:  इस जगह पर महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया अशोक स्तम्भ पर प्राकृत लिपि में बुद्ध का जन्म स्थान बताया गया है।

जनकपुर:  इस जगह पर माता सीता का जन्म हुआ था इस लिए यह जगह धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है आप इस जगह को श्री राम की ससुराल भी कह सकते है |

मुक्तिनाथ: मुक्तिनाथ वैष् णव सम्प्रदाय का एक महत्वपूर्ण मन्दिर है। यह स्थान शालिग्राम भगवान के नाम से प्रसिद्ध है।  दरअसल, यह एक पवित्र पत्थर है जो हिन्दू धर्म में पूजनीय है। यह अधिकतर नेपाल की ओर बहने वाली काली गण्डकी नदी में पाया जाता है। मुक्तिनाथ का स्थान मुक्तिक्षेत्र है। हिंदू धर्म के अनुसार यह वह स्थान है जहाँ लोग मोक्ष या मुक्ति पाते हैं। मुक्तिनाथ की यात्रा बहुत कठिन है। फिर भी बहुत से लोग यहाँ तीर्थयात्रा करते हैं।

ककनी: हिमालय का ख़ूबसूरत नजारा देखना चाहते हो तो ककनी एक खुबसूरत जगह है वहां जाना होगा यह काठमाण्डु से 29 km की दुरी पर है |

गोसाईं कुण्ड: गोसाई कुण्ड झील नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक हैयहाँ और भी नौ प्रसिद्ध झीलें हैं। जैसे सरस्वती भरव, सौर्य और गणोश कुण्ड आदि। उत्तर में पहाड़ और दक्षिण में विशाल झील इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं।

धुलीखेल: यह प्राचीन शहर काठमांडु से 30 किलोमीटर पूर्व अर्निको राजमार्ग (काठमांडु-कोदारी राजमार्ग) पर है। यहाँ से पूर्व में कयरेलुंग और पश्चिम में हिमालचुली शृंखलाओं के सुंदर दृश्य देख सकते हैं।

पशुपतिनाथ मन्दिर  बागमती नदी के किनारे बना यह मंदिर काठमाण्डु से करीब 5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है।इस मन्दिर के साथ और भी मन्दिर बने हुए हैं इस मन्दिर के साथ और भी मन्दिर बने हुए हैं|

रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान:  दक्षिण- मध्य नेपाल में स्थित यह उद्यान देश की प्राकृतिक संपदा का खजाना है।1973 में इसे नेपाल के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा हासिल हुआ। यह उद्यान 932 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है यूनेस्को ने 1984 में इसे विश्‍व धरोहर का दर्जा दिया। है |

चाँगुनारायण मन्दिर: यह काठमाण्डु घाटी का सबसे पुराना विष्णु मन्दिर है वर्तमान पैगोडा शैली में बना यह मन्दिर 1702 में पुन: बनाया गया इस मन्दिर का निर्माण चौथी शताब्दी के आस-पास हुआ था|

भक्तपुर दरबार स्क्वैयर: इस के अन्दर एक शाही महल दरबार और पारम्परिक नेवाड़, पैगोडा शैली में बने बहुत सारे मन्दिर हैं।भक्तपुर के दरबार स्क्वैयर का निर्माण 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुआ था। स्वर्ण द्वार, जो दरबार स्क्वैयर का प्रवेश द्वार है यह जगह भी युनेस्को की विश्‍व धरोहर का हिस्सा है।

स्वर्ण द्वार: बेशक़ीमती पत्थरों से सजे इस दरवाज़े का धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। यह माना जाता है कि स्वर्ण द्वार स्वर्ग की दो अप्सराएँ हैं।शाही अन्दाज में बने इस द्वार के ऊपर देवी काली और गरुड़ की प्रतिमाएँ लगी हैं।

बोधनाथ स्तूप: यह  बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केन्द्र है| इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था 1959 में चीन के हमले के बाद यहाँ बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने शरण ली तब से बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केन्द्र बना |

नेपाली भोजन: 

  1. दाल भाटी
  2. मोमोज
  3. थुपका
  4. सील रोटी
  5. योमारी-नेपाल के प्रसिद्ध व्यंजन
  6. ढिंढो या ढांडो थाली
  7. वो या बारा
  8. गुन्द्रुक-नेपाल के प्रसिद्ध व्यंजन
  9. गोरखारी लांब
  10. चटामारी
  11. समये बाजी
  12. जुजू धाउ

conclusion

नेपाल अपनी भौगोलिक विविधता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के साथ एक अद्वितीय देश है। यहाँ की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ न केवल वहा के रहने वालो के जीवन को समृद्ध बनाती हैं, बल्कि दुनिया भर से टूरिस्टों को और शोधकर्ताओं को भी आकर्षित करती हैं।जब की  नेपाल को अपनी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में संतुलित कदम उठाने की ज़रूरत  है।

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