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Statue of Unity: Pride of Gujarat-स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की पूरी जानकारी -5 सालो में पूरा किया गया स्मारक को

Statue of Unity: Pride of Gujarat-स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की पूरी जानकारी -5 सालो में पूरा किया गया स्मारक को

Statue of Unity :Pride of Gujarat-स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की पूरी जानकारी -5 सालो में पूरा किया गया स्मारक को
Statue of Unity: Pride of Gujarat-स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की पूरी जानकारी -5 सालो में पूरा किया गया स्मारक को

आज हम जानेगे विश्व की सब से ऊँची प्रतिमा के बारे statue of unity: Pride of Gujarat के बारे मे जो गुजरात के नर्मदा जिले मे बनाई गई हिंदुस्तान मे रहकर भी अगर आप ने इस प्रतिमा को नहीं देखा तो एक बार ज़रूर जाने की कोशिश करे |

रसदार वल्लभ भाई पटेल जो की भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे है उन को समर्पित एक स्मारक स्टेचू ऑफ़ यूनिटी के नाम से 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। यह स्टेचू ऑफ़ यूनिटी साधू बेट नामक स्थान पर है जो सरोवर बाध से 3.2 kmकी दुरी पर है |

मूर्ति की कुल ऊँचाई 240 मीटर है जिसमे 58 मीटर का आधार तथा 182 मीटर की मूर्ति है|इस स्मारक सपात साँचे, प्रबलित कंक्रीट  और कांस्य लेपन से तैयार की गई |इसे आप 7 किमी की दूरी से भी देख सकते हैं।

गुजरात राज्य  के नर्मदा जिले मे नर्मदा नदी पर एक टापू पर यह स्मारक स्थित है |विश्व की सब से ऊँची मूर्ति का रिकोर्ड इस मूर्ति के नाम है | जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है दूसरा नुम्बर ऊचाई मे आता है चीन की स्प्रिंग  टेम्पल बुद्ध का |

प्रारंभ मे भारत सरकार द्वारा इस स्मारक परियोजना की लगत 3000 करोड़ रखी थी |लेकिन लार्सन एंड टुब्रो ने सब से कम 2,989 करोड़ की बोली लगाई निर्माण कार्य का प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2013 को प्रारम्भ हुआ। वल्लभ भाई के जनम दिन के दिन इस कार्य की नीव राखी गई 31 अक्टूबर को स्मारक का कार्य प्रारंभ किया गया और अक्टूबर 2018 तक समाप्त कर दिया गया |इस का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथो वल्लभ भाई के  138वें जन्म दिन के दिन ही किया गया |

मूर्ति जितनी पुरानी  होती जाएगी वैसे इस का रंग भी बदलता जाएगा कांस्य धातु का समय बढ़ने की प्रक्रिया के कारण स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कांस्य रंग से हरे रंग में बदल जाएगी रासायनिक प्रक्रिया ऑक्सीकरण  के कारण 30 साल के बाद अपने ऑरिजिनल रंग यानि भूरे रंग से हरे रंग में बदल जाएगी,

इस को पूरा होने मे 5 वर्ष का समय लगा और इस के निर्माण मे बुर्ज खलीफा के परियोजना प्रबंधक की भी सहायता ली गई | इस प्रतिमा को पूरा करने के लिए 300 इंजीनियरों और 3000 श्रमिकों ने काम किया | लार्सन एंड टर्बो का इस मूर्ती को बनाने में सबसे बड़ा योगदान है।इस खूबसूरत मूर्ती को बनाने के लिए 70,000 टन सीमेंट, 25,000 टन स्टील, और 12,000 कॉपर पैनल का इस्तेमाल किया गया है और करीबन 1700 टन वजन का उपयोग किया गया था। मूर्ती का बेस यानि आधार बनाने के लिए 129 टन से अधिक स्क्रैप लोहे का उपयोग किया गया था।

इस मूर्ति को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि भूकंप के झटके या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। 6. रिक्टर पैमाने पर आए भूकंप के झटके हो या 180 किमी घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा ये प्रतिमा को हिला भी नहीं सकती |

इस विशाल काय स्मारक को बनाने की परियोजना की  घोषणा गुजरात सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 मे की थी, इस स्मारक को बना ने मे जो लाहा लगने वाला था उस की पूर्ति करने के लिए समग्र भारत के गाव मे रहने वाले किसानो के खेती काम मे पुराने और  बेकार हुए ओज़रो एकत्र कर के किया गया |इस कार्य को पूरा करने के लिए पुरे भारत वर्ष मे 36 कार्यालय सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट  द्वारा खोले गये |

इस कार्य मे लगभग 5 लाख किसानो ने लोहा दे कर सहायता की इस के अलावा 6 लाख ग्रामीणों ने  भी इस स्मारक को बना ने मे लोहा दिया इस अभियान मे लगभाग 5000 मीट्रिक टन लोहा प्राप्त हुआ |हालाँकि यह लोहा किसी कारण मूर्ति मे इस्तेमाल नहीं हो सका मगर इस परियोजना के दुसरे कार्यो मे इस का इस्तेमाल किया गया |

स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की खास बाते

  1. स्मारक पर कस्य का लेपन किया गया
  2. स्मारक का त्रि-स्तरीय आधार, जिस मे छज्जा और छत,  प्रदर्शनी फ्लोर,विशाल संग्रहालय,  छत पर स्मारक उपवन, और प्रदर्शनी हॉल भी सम्मिलित है जिसमे सरदार पटेल के जीवन और योगदानों को  बहुत अच्छी तरह दर्शाया गया है |
  3. नाव सुविधा के द्वारा केवल 5 मिनट में स्टेचू ऑफ़ यूनिटी  तक पहुँचा जा सकता है |
  4. एक नदी से 500 फिट ऊँचा आब्जर्वर डेक का भी निर्माण किया गया है इस निर्माण से एक ही समय में दो सौ लोग स्मारक का  निरिक्षण कर सकते हैं।
  5.   पर्यटकों के लिए एक आधुनिक तरीके से पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति को देखने का आनंद लिया जा सकता है |इस प्लाजा मे पर्यटकों  के लिए खान-पान स्टॉल, उपहार वगेरा की दुकानें, रिटेल तथा अन्य सुविधाऐ सम्मेलित  है |
  6. स्टेचू ओफ  यूनिटी हर सोमवार साफ़ सफाई और रख रखाव के कारण बंद रहता है |
  7. स्मारक के पैरो मे 4 लिफ्ट लगी है जो प्रत्येक बार मे 26 लोगो को 4 सेकण्ड मे ऊपर लेजाती है|

स्टेचू ऑफ़ यूनिटी बनाने मे आने वाली अडचने :

इस स्मारक को बना ने से पहले स्थानीय लोगों ने इस मूर्ति हेतु पर्यटन विनिर्माण विकास हेतु भूमि अधिग्रहण का विरोध किया। स्थानीय लोगो ने यह कह कर दावा किया था के यह स्थान धार्मिक महत्त्व रखता है क्यों की इस जगह का वास्तविक नाम वरट बावा टेकरी है जो एक स्थानीय देवी के नाम पर पड़ा है|

पर्यावरणविदों  ने यह आरोप  लगाया  के इस परियोजना का प्रारम्भ बिना पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति के प्रारम्भ हो गया और इस कारण केंद्र सरकार को पत्र  भी लिखा | इस के अलावा अनेक गाव के ग्रामीणों ने इस मूर्ति के निर्माण का और पक्की सडक परियोजना का भी विरोध  किया,

2014-15 मे जब इस स्मारक का बजट रखा गया तो  विपक्षी राजनैतिक दलों ने इतने अधिक खर्चे की निन्दा की

महिला सुरक्षा, शिक्षा, कृषि योजनाओं पर अधिक धन खर्च करने की सलाह दी इस परियोजना मे कस्य लेपन के लिए चीन की एक कंपनी की सहायता ली गई जिस का विरोध भारतीय रास्ट्रीय कोंग्रेस ने किया |

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स्टेचू ऑफ़ यूनिटी के प्रमुख आकर्षण :

गेलेरी : लिफ्ट के द्वारा पर्यटक व्युईंग  गेलेरी मे जा कर मूर्ति के अन्दर गेलेरी मे जाते है और आसपास की पहाडियों और नर्मदा नदी के दृश्यों को देख सकते है |

संग्रहालय: इस संग्रहालय मे सरदार वल्लभ भाई की विभिन्न तस्वीरे , चीजे ,दस्तावेज,  और देश के लिए उन का योगदान    दिखाए जाते है |

फूलो की घाटी : इस परिसर मे फूलो की एक खुबसूरत घाटी भी बनाई गई है जिस मे विभिन्न प्रकार के फूलो को आप देख सकते है जो प्रकृति प्रेमियों को अधिक्  पसंद आता है |

सुन्दर लेंडस्केप: स्मारक का विहंगाम दृश्य मंत्रमुग्घ करदेने वाला है यहाँ से पर्यटक क्षितिज और शहर को निहार सकते है |

निष्कर्ष:

Statue of Unity: Pride of Gujarat blog पोस्ट के बारे में हम ने जाना की यह स्टैचू ऑफ यूनिटी, न केवल एक पर्यटक आकर्षण है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है, जो उन्हें राष्ट्र की सेवा और सामाजिक समरसता के प्रति समर्पण के महत्व को सिखाता है। इस स्मारक से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जब कोई व्यक्ति अपने उद्देश्य के प्रति सच्ची निष्ठा और प्रतिबद्धता रखता है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है।

यह स्मारक एक ऐसा  ऐतिहासिक स्मारक है जो न केवल सरदार वल्लभभाई पटेल के अद्वितीय योगदान और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की एकता, अखंडता और विविधता का भी प्रतीक है। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा, भारत के गौरव का प्रतीक बन गई है, जो देश की इंजीनियरिंग और वास्तुकला के क्षेत्र में अपार प्रगति को दर्शाती है।

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