Journey to the Heights of Girnar
आज हम जानेगे Journey to the Heights of Girnar मे बोहोत कुछ खास | भगवन और मंदिर मे श्रद्धा है तो Journey to the Heights of Girnar-सती का श्राप ये सब आप को जान्ने को मिलेगा इस लेख के माध्यम से गिरनार भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वतीय प्रदेश है।
गिरिनार का प्राचीन नाम उर्ज्जयंत था।फिर इसे रैवत के नाम से भी जाना गया, उस के बाद पुरतनपूर कहा जाने लगा, चंद्रगुप्त मौर्य ने इसे गिरीनगर नाम दिया, शकानों ने इसे सुवर्णगिरीनगर या नरेंद्रपूर कहा,स्कंदपुराण के मुताबिक, छठी या सातवीं शताब्दी में इसे जीर्णदुर्गा कहा गया|
इस पर्वत 866 जैन और हिंदू मंदिरों से ढका है। दूर-दूर से तीर्थयात्री शिखर तक 10,000 पत्थर की सीढ़ियां चढ़ने के बाद आते हैं। इन सीढ़ियों कि चढ़ाई सुबह में करना सही माना जाता है।अहमदाबाद से 327 किलोमीटर की दूरी पर जूनागढ़ के १० मील पूर्व भवनाथ मे स्थित है |
हरे-भरे गिर के जंगलो के बीच पर्वत-शृंखला धार्मिक गतिविधि के केंद्र के रूप में कार्य करती है। गिरनार पर्वत की औसत ऊँचाई 3,500 फुट है पर चोटियों की संख्या अधिक है। यहां सब धर्म के भक्त आते है और जैन मंदिर का दर्शन करते है इसी पर्वत के जंगल क्षेत्र में ‘गिर वन राष्ट्रीय उद्यान’ स्थित है। जो एशियाई सिंहों के लिए विख्यात है |
जिनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है|यहीं पर सम्राट अशोक का एक स्तंभ होने के अलावा मल्लिनाथ और नेमिनाथ के मंदिर भी बने हुए हैं ।इसी चट्टान पर क्षत्रप रूद्रदामन का लगभग 150 ई. का प्रसिद्ध संस्कृत अभिलेख है। इसमें सम्राट् चन्द्रगुप्त मोर्य तथा परवर्ती राजाओं द्वारा निर्मित तथा जीर्णोद्वारकृत जैन और विष्णु मंदिर का सुंदर वर्णन है। यह लेख संस्कृत काव्यशैली के विकास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण समझा जाता है।
गिरनार का इतिहास:
गिरनार का इतिहास भारतीय धर्म शास्त्रों में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह भगवान नेमिनाथ का मोक्ष एवं ज्ञान कल्याणक स्थल है,माना जाता है के गिरनार की पाँचवी टोंक पर उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ था। गिरनार पर्वत की पाँचवी चोटी को नेमिशिखर के नाम से पहचाना जाता है, यहा भगवान श्री नेमिनाथ की चरण पादुका है।
इस पर्वतीय प्रदेश के चार शिखरों पर महत्वपूर्ण जैन मंदिर स्थित हैं, जो जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक हैं। गिरनार में श्री नेमिनाथ जी का मंदिर सबसे प्रसिद्ध है, जो जैन समुदाय के लोगों के लिए धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में परिचित है।
गिरनार और इसके आस-पास के क्षेत्र में कई प्राचीन सभ्यताएं विकसित हुईं। इसके पास स्थित सोलंकी गुफाओं में पाए गए अवशेषों के आधार पर यह पता चलता है कि यहां प्राचीन काल में लोग निवास करते थे।
इस प्रकार, गिरनार एक ऐतिहासिक, धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है और यह भारतीय इतिहास के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।
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क्या है लटकती चट्टान का रहस्य?
900 साल से लटकती हुई चट्टान आज तक नहीं गिरी इस के पीछे क्या वजह हो सकती है| पता चला की जूनागढ़ की रानी इस के पीछे का कारण है इस के पीछे एक दुर्भाग्यपूर्ण सती की कहानी है। प्राचीन काल मे देवदा ठाकोर नाम के एक इन्सान को बेटे की तीव्र इच्छा थी।
उसने पुत्र पैदा करने के लिए बहुत कुछ किया। लेकिन एक बेटी का जन्म हुआ। तब एक पंडित ने कुछ भविष्यवाणी कर दी, यह बेटी आपके लिए जोखिम होगी । इसलिए पिता ने अपनी बेटी को जंगल के बीच में छोड़ दिया। एक अकेली छोटी बच्ची और एक बड़ा जंगल!
जूनागढ़ के पास ही एक गाव है मजेवाड़ी नाम का वहा के एक कुम्हार को यह नन्ही बच्ची मिली और वह ऊसे ले गये नाम रखा राणक रा’खेंगर,और रणक देवी दोनों में प्यार हो गया। लेकिन जय सिह रणकदेवी को अपनी रानी बनान चाहते थे |लेकिन राणक को यह रिश्ता मंजूर नहीं था |क्यों की राणक रा से प्रेम करती थी बोहोत प्रयत्न करने पर भी राणक ने हा नहीं की और रा’खेंगर,के साथ विवाह कर लिया जब इस बात की खबर जयसिंह को मिली वह आग बबूला हो गया और जुना गढ़ पर आक्रमण कर दिया जयसिंह और गिज्रत की सेना आपस मे भीड़ गई |
वर्षो युद्ध चला जिस मे जय सिह की हार होने लगी तब जयसिह ने छल किया और रा’खेंगर के भतीजे देशल और विशाल को लोभ दिया के यदि खेंगर हार गए तो मैं जूनागढ़ का सिंहासन आपको सौंप दूंगा। भतीजे ने मोका देख कर ऊपरी कोट का दरवाजा खोल दिया जयसिह की सेना किले मे प्रवेश कर गई और राखेंगर को मार दिया गया |
और जयसिंह खुली तलवार लेकर सीधे रानी के घर आया। पति की मृत्यु सुनकर रणकदेवी सती बनने की तैयारी कर रही थी। तब जयसिह रानी रणकदेवी को अपने साथ जबरन ले जा रहा था तब रणकदेवी ने दुखी स्वर से कहा हे गिरनार तुम्हारे सामने मेरे पति की मृत्यु हो गई और अब तुम मेरा अपमान भी देख रहे हो तुम टूट क्यों नहीं गये और तभी गिरनार की चट्टानें टूट कर गिरने लगी एक चट्टान आज भी लटकती हुई नज़र आती है |
गिरनार की घुमने के लिए खास जगह {tourist place}:
अम्बिका माता मंदिर :
धर्मनाथ मंदिर: यह मंदिर गिरनार पहाड़ी का प्रमुख मंदिर है, और यह जैन धर्म के तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान को समर्पित है।
मुंगासा देवी मंदिर: यह मंदिर गिरनार पहाड़ी पर स्थित एक और प्रसिद्ध मंदिर है, जो मां अम्बा या मुंगासा देवी को समर्पित है।
हिंदोला तालाव: यह एक प्राचीन तालाव है, जिसे राजपूत राजा भि मदेव I ने बनवाया था।
जीवनखियारा तालाव: यह गिरनार पहाड़ी पर एक और प्रसिद्ध तालाव है, जिसे जलसागर भी कहा जाता है ।
जुंगलोटी विश्राम स्थल: जुंगलोटी गिरनार पर्वत पर एक आरामदायक विश्राम स्थल है, जहां आप शांति और सुकून का आनंद ले सकते हैं। यहां पर्वतारोहण के दौरान आराम करने के लिए ठहरने के लिए व्यवस्था है।
भारतीय विमान जाहाज संग्रहालय: यह आवाजाहाल, राजकोट रोड, गिरनार के पास स्थित है, वहां भारतीय वायुसेना के विमानों का संग्रह है। यह इतिहास और विज्ञान प्रेमियों के लिए दिलचस्प स्थान है।
तुलसीश्वर महादेव मंदिर: यह मंदिर गिरनार के नजदीकी एक प्राचीन मंदिर है, जो विशाल शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है।
दत्तात्रय मंदिर:
उपर्यांक जैन तीर्थ: गिरनार पर्वत के नीचे, उपर्यांक जैन तीर्थ भी स्थित है, जहां जैन समुदाय के लोग धार्मिक अनुष्ठान और पूजा करते हैं।
यहां दी गई जगहों के अलावा भी गिरनार पर्वत के आसपास और भी कई रोचक स्थल हो सकते हैं।
गिरनार कैसे पोहचे :
निकटतम हवाई मार्ग:
गिरनार के नजदीक 2 हवाई अड्डे है
1.केशोद: यहाँ से गिरनार की दुरी 80 km है|
2.राजकोट: यहाँ से गिरनार की दुरी 150 km है|
निकटतम रेल्वे स्टेशन:
गिरनार के नजदीक 2 रेल्वे स्टेशन है|
1. राजकोट: यहाँ से गिरनार की दुरी 101 है|
2. अहमदाबाद : यहाँ से गिरनार की दुरी 334 km है|
सड़क द्वारा:
गिरनार तक विभिन्न सरकारी और निजी बसों, टैक्सियों और निजी वाहनों के माध्यम से सड़क द्वारा पहोच सकते है, नजदीकी शहर जूनागढ़ है, जो गुजरात के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
गिरनार पहुँचने के लिए जूनागढ़ से टैक्सी या बस किराए पर ली जा सकती है,जो शहर के केंद्र से लगभग 7 किमी दूर है।
निष्कर्ष