Somnath mandir- भारत का प्राचीन तीर्थ स्थल
आज हम जानेगे Somnath mandir के बारे मे सोमनाथ मंदिर का पूरा इतिहास और क्यों है इस का इतिहास विवादों से भरा जाने कितनी बार लुटा गया तो चलिए चलते है सोमनाथ मंदिर के इतिहास की और
सोमनाथ मंदिर भारत, गुजरात राज्य के प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक है। यह स्थान पश्चिमी भारतीय तट पर स्थित है और अरब सागर के किनारे बसा हुआ है। सोमनाथ मंदिर का इतिहास हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसे भारतीय इतिहास में गर्व से स्थान प्राप्त है।
somnath mandir का इतिहास:
सोमनाथ मंदिर के निर्माण का इतिहास अक्सर विवादित रहा ये मन जाता है के मंदिर का निर्माण महाभारत काल में चंद्रभागा राज्य के राजा सोम देव द्वारा हुआ था. यहां सोम राजा ने शिवलिंग की पूजा की थी और इसे सोमेश्वर नाम से जाना गया|
सोमनाथ मंदिर के इतिहास के अनुसार, यह मंदिर महाभारत काल से प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोमनाथ मंदिर का निर्माण देवी सूर्या (सूरज माता) के पुत्र भगवान सूर्य द्वारा हुआ था। यहां पर पूर्व में लॉर्ड शिव का एक ज्योतिर्लिंग स्थापित था, जिसे भगवान सोमनाथ कहा जाता है।
यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे आज भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगो में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था|
चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है|उन्होंने भगवन शिव को ही अपना नाथ मानकर यहाँ तपस्या की थी इस वजह से इस का नाम सोमनाथ हो गया|
मंदिर के इतिहास में कई बार इसे आक्रमणकारी शक्तियों द्वारा नष्ट किया गया है। सबसे पहले इसे 725 ईसा पूर्व में जुनागढ़ के चावडा राजपूत राजा सोमेश्वर द्वारा नष्ट किया गया था। इसके बाद से यह मंदिर कई बार निर्माण और पुनर्निर्माण के बाद बर्बर संप्रदायों के हमलों का शिकार हुआ। इसके अनुसार, इसे सोमेश्वर मंदिर कहा जाने लगा।
सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आक्रमणकारी आक्रमण अरबी मुस्लिम शासक सलार मसूद घाजनवी द्वारा 1024 ईसा पूर्व में हुआ था। उन्होंने मंदिर को नष्ट कर दिया और सोने और चांदी की खजानें लूट ली। यह आक्रमण भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण घटना के रूप में माना जाता है।
1869 में सोमनाथ मंदिर
यह मंदिर वर्तमान में भी भक्तों के लिए खुला है और इसे दर्शन का एक प्रमुख स्थान माना जाता है | यहां पर प्राय: हिन्दू धार्मिक आयोजनों और उत्सवों की आयोजना की जाती है और यहां बहुत सारे तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल हैं जो यात्रियों को आकर्षित करते हैं। सोमनाथ मंदिर भारतीय संस्कृति, इतिहास और धार्मिकता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।ता है।
मन्दिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घण्टे का साउण्ड एण्ड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मन्दिर के इतिहास का बड़ा ही सुन्दर सचित्र वर्णन किया जाता है|लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्त्व बढ़ गया।
सोमनाथ मंदिर की देखभाल और व्यवस्था का कार्य सोमनाथ कमंदिर के ही ट्रस्ट को सोप दिया गया इस के अलावा सरकार ने मंदिर की आय बढ़ने के लिए ट्रस्ट को ज़मीन और बाग़ और बगीचे भी दिए है |
प्राचीन हिन्दू कथाओ के अनुसार सोम यानि चन्द्र को दक्षप्रजापति राजा ने श्राप दिया था उस श्राप से मुक्ति पाने के लिए सोम ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दीअंत मे शिव प्रसन्न हुए और सोम-चन्द्र के शाप का निवारण किया। सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव का स्थापन यहाँ करवाकर उनका नामकरण हुआ “सोमनाथ”।
इस के अलावा यह भी माना जाता है के श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब अनजाने मे उन के
पैर के तलुए में पद्मचिह्न देख कर एक शिकारी ने हिरन की आख समझ कर तीर मारा था और इस वजह से कृष्ण ने देह त्याग किया और यही से वैकुण्ठ गमन किया। इस कारण इस स्थान पर कृष्ण सुन्दर मन्दिर बना हुआ है।
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somnath mandir को कितनी बार लुटा गया:
सोमनाथ मंदिर कई बार लूटा गया था। इसका इतिहास बहुत लंबा है और कई सभ्यताओं, राजवंशों, और आक्रमणकारी सेनाओं द्वारा इसे लूटा गया। निम्नलिखित में कुछ महत्वपूर्ण आक्रमणों के बारे में उल्लेख किया गया है:
चावड़ा राजा सोमेश्वर (725 ईसा पूर्व): सोमनाथ मंदिर का पहला लूट चावड़ा राजा सोमेश्वर द्वारा किया गया था।
अरबी मुस्लिम शासक सलार मसूद (1024 ईसा पूर्व): यह एक प्रसिद्ध और भारी लूट था जिसमें सलार मसूद ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया और संग्रहीत सम्पत्ति को लूट लिया।
मुहम्मद गजनवी (1026 ईसा पूर्व): सलार मसूद के बाद, मुहम्मद गजनवी ने भी सोमनाथ मंदिर को लूटा।
अरबी मुस्लिम शासक अहमद बिन तुलुन (c. 725): अहमद बिन तुलुन के समय में भी मंदिर परआक्रमण किया गया था।
अला उद-दीन खिलजी (1299 ईसा पूर्व): अला उद-दीन खिलजी के समय में भी सोमनाथ मंदिर को लूटा गया था।
इन आक्रमणों के अलावा भी, इस मंदिर को बार-बार लूटने की कई छोटी-बड़ी घटनाएं हुईं थीं। इसके बावजूद, सोमनाथ मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व सदैव बरकरार रहा है और आज भी यह भारतीय धरोहर का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
somnath mandir को क्यों लुटा गया :
सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटा जाने के पीछे कई कारण थे। इसे विशेषकर अरबी मुस्लिम शासक सलार मसूद घाजनवी द्वारा 1024 ईसा पूर्व में लूटा गया था। यह एक प्रसिद्ध आक्रमण था जिसमें सोमनाथ मंदिर को बर्बाद करके उसमें संग्रहीत सम्पदा को लूट लिया गया था।
यहां कुछ कारण हैं जो सोमनाथ मंदिर को लूटे जाने का कारण बनते थे:
समृद्धि और संग्रहीत सम्पदा: सोमनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध और धार्मिक स्थल था, जिसमें भक्तों की भावनाओं और भक्ति का सम्मान होता था। इसलिए यहां पर भारी मात्रा में धन और सम्पत्ति भी संग्रहीत होती थी, जिसे आक्रमणकारी राजा और सैन्य चाहते थे।
धार्मिक संघर्ष: भारत के इतिहास में धार्मिक संघर्ष हमेशा सम्प्रदायों के बीच हुआ है। धार्मिक स्थलों को आक्रमणकारी सेनाओं के निशाने पर रखना इन समयों की आम बात थी, और इसके प्रभावस्वरूप सोमनाथ मंदिर को भी बार-बार आक्रमणकारी राजा द्वारा लुटा जाना सामान्य था।
भौगोलिक स्थिति: सोमनाथ मंदिर अरब सागर के किनारे स्थित था, जो विदेशी आक्रमणकारियों के लिए सीमाओं को पार करने का एक उत्कृष्ट स्थान बनता था। इसके कारण यहां लूटने वाले आक्रमणकारी राजाओं को आसानी से पहुंचने का अवसर मिलता था।
इन कारणों के साथ-साथ, सोमनाथ मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी उसे लूटने का मुख्य कारण बनता था। लगातार लूटे जाने के बाद भी, यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण प्रतीक बना हुआ है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है।
somnath mandir कैसे पोहचे :
हवाई जहाज मार्ग : सबसे आसान और तेज़ तरीका है हवाई जहाज़ से राजकोट या कच्छ के कोई नज़दीकी हवाई अड्डे तक पहुंचना। इसके बाद आप टैक्सी, बस या किराए की गाड़ी का इस्तेमाल करके सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेलगाड़ी: सोमनाथ रेलवे स्टेशन गुजरात के रेलवे नेटवर्क में शामिल है। आप अपने शहर से रेल द्वारा गुजरात के किसी भी मुख्य जंक्शन जैसे अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट आदि पहुंच सकते हैं और वहां से टैक्सी या बस सेवाओं का इस्तेमाल करके सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग: अगर आप अपनी गाड़ी या बाइक से सफर कर रहे हैं, तो आप गुजरात राज्य के उच्च राष्ट्रीय मार्गों द्वारा सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं। आपको गुजरात के मुख्य शहरों से सड़कों के चिकनाव, सड़क संख्या और संचार माध्यम के द्वारा सोमनाथ मंदिर के लिए संदर्भित करने की आवश्यकता होगी।
निष्कर्ष
somnath mandir न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और आस्था का प्रतीक भी है। इसके कई पुनर्निर्माणों की कहानी हमें संघर्ष और पुनर्जागरण की प्रेरणा देती है। प्राचीन काल से लेकर आज तक, यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक अटूट केंद्र बना हुआ है, जहाँ भगवान शिव की आराधना के साथ इतिहास की अमर धरोहर जीवित है।