Sri LankaThe Historical Legacy-श्रीलंका के बारे में जाने पूरा सच-भारत के नक़्शे के साथ क्यों दिखाई देता है श्रीलंका ?
श्रीलंका का इतिहास बहुत ही विशाल और रिच है, और इसका पालन-पोषण कई सैंकड़ों वर्षों से हो रहा है। हिन्दू पौराणिक इतिहास के अनुसार शिव ने श्रीलंका को बसाया था एक अन्य कथा के अनुसार शिव के राक्षस पुत्र जिस के 3 बेटे थे उन बेटो ने श्रीलंका को बसाया था |
प्राचीन काल:
श्रीलंका का प्राचीन नाम “लंका” था, और यह पहले से ही एक प्राचीन सभ्यता का केंद्र था।
रामायण काल में, भारतीय ईतिहास में मशहूर एक इतिहासिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने लंका का ध्वंस किया था। श्रीलंका की दुरी भारत से केवल 32 km है |
श्रीलंका में 125,000 साल पहले यहाँ इन्सानो की बस्तियाँ होने के प्रमाण मिले हैं| प्राचीनकाल में यह द्वीप बौद्ध और हिन्दू धर्म का केंद्र भी था। 1972 तक इस देश का नाम सीलोन था इस नाम को बदल कर लंका कर दिया गया उस के बाद इस नाम के आगे श्री लगा कर श्रीलंका कर दिया गया श्रीलंका और भारत के बोहोत पुराने सम्बन्ध रहे है |एक DNA रिपोट के मुताबिक पता चला केसिहल जाती के लोग उत्तर भारत से आकर श्रीलंका में बसे थे |
श्रीलंका में श्रीपद नामक पर्वतीय चोटी है जिस को एडम पिक नाम से भी जाना जाता है | ईस जगह पर बड़ा सा पदचिन्ह है |इस पदचिन्ह को लेकर हिन्दू, बोद्ध,क्रिश्चन और मुस्लिम सभी की अलग -अलग मान्यताए है |
कल्पनीय काल (5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 4 वीं शताब्दी ईसा पूर्व):
कल्पनीय अवधि के वक्त बौद्ध और धार्मिक नगर अनुराधपुरा का निर्माण किया गया, जो बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक था।
5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व को “कल्पनीय काल” के रूप में जाना जाता है। यह काल अत्यंत पुराना माना जाता है और इस समय के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है। इस काल की जानकारी ज़्यादातर अर्थशास्त्रिक और पुरातात्विक खोजों और खुदाइयों से मिलती है, और इसे “प्राकृतिक ऐतिहासिक काल” के रूप में भी जाना जाता है।
इस काल में, विभिन्न भूमिकों पर विभिन्न संस्कृति और सभ्यताओं का जन्म हुआ, और यह विभिन्न भाषाओं, धर्मों, और संस्कृतियों के विकास के लिए खास था। इस काल के दौरान बोहोत सी खास इतिहासिक घटनाएं हुईं, जैसे कि भगवान महावीर और भगवान बुद्ध के जीवन के आधार पर जैन और बौद्ध धर्मों का उदय हुआ।
इस काल में बोहोत से राजा और सम्राटोंने राज किये जैसे कि मगध सम्राट भरत, आजातशत्रु, और अशोक गुप्त, जिन्होंने अपने समय के बड़े साम्राज्य बनाए। ईसापूर्व सम्राट अशोक ने बोद्ध धर्म अपना कर अपने पुत्र और पुत्री को धर्म प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा जिस के कारण श्रीलंका के राजा तिस्सा ने बोद्ध धर्म अपना कर महाविहार नमक बोद्ध मठ की स्थापना की |
कोलम्बो राजवंश (तीसरी शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक):
3वीं शताब्दी में कोलम्बो राजवंश ने श्रीलंका को जीता, अनुराधपुरा को छोड़कर पोलन्नारुवा को राजधानी बनाया।
श्रीलंका में अबयगिरि विहार और महाविहारा जैसे बौद्ध मोनास्ट्रियों का निर्माण हुआ था।
उस दोरान श्रीलंका में बौद्ध धर्म का बहुत बड़ा महत्व था, क्योंकि वहाँ के महान बौद्ध धर्मगुरु बोधिधर्मा ने इसे बढ़ावा दिया था।
कोलम्बो राजवंश का शासकली अवधि तीसरी शताब्दी से शुरू हुई थी, जब राजाधिराज कोलम्बो ने श्रीलंका के उत्तरी भाग में अपनी राजधानी कोलम्बो (संगमावासी) की स्थापना की। वे बौद्ध धर्म के बोहोत बड़े समर्थक थे और इस धर्म को प्रोत्साहित किया कोलम्बो राजवंश के शासकों ने श्रीलंका के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया और उन्होंने अपने समय में राज्य को समृद्धि और विकास की तरफ बढाया|
कोलम्बो राजवंश का पतन ग्यारहवीं शताब्दी में हुआ, जब श्रीलंका में अन्य राजवंशों के आक्रमणों के चलते उनका सत्ताबद्धि समाप्त हुआ। कोलम्बो राजवंश का अंत भी बौद्ध धर्म के प्रसारण के साथ ही हुआ, जिससे इसके अनुयायी बौद्ध श्रीलंका के महत्वपूर्ण हिस्से बने |
कोलम्बो राजवंश का इतिहास श्रीलंका के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह राजवंश ने बौद्ध धर्म को फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |
चोल और पांड्य शासकों का आक्रमण :
11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच, भारतीय चोल और पांड्य शासकों ने श्रीलंका पर आक्रमण किया और इसे अपने राज्य का हिस्सा बनाया।215 ईसापूर्व से 161 ईसापूर्व तक, प्रसिद्ध चोल राजा एलारा ने राज किया। ईसापूर्व 161 ईस्वी में, कवण टिस्सा के पुत्र दुत्तु गेमुनु ने उसे 15 वर्ष के संघर्ष के बाद हरा दिया। इसके बाद पांच तमिल सरदारों ने यहां राज किया, इस के बाद तमिल शासन को भी समाप्त कर दिया। इसी दौरान बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का निर्माण हुआ।
महासेन ने थेरवाद को खत्म कर दिया, जिससे महायान बौद्ध धर्म का प्रभुत्व हुआ। 4249 ईस्वी में, पांडु इस द्वीप पर पहला पांड्य शासक था। मनवम्मा ने पल्लवों की मदद से अपने वंश का आखरी शासक मार डाला। पांड्यों ने तीन शताब्दी तक पल्लवों के अधीन रहने के बाद दक्षिण भारत में फिर से जन्म लिया। अनुराधपुरा को पांड्यों ने लूट लिया। लेकिन इसी समय सिंहलियों ने पांड्यों पर हमला कर मदुरै को लूटा |
पोर्तुगीज, ओलंडीज, और ब्रिटिश शासन (16वीं – 20वीं शताब्दी):
16वीं शताब्दी में पोर्तुगीज आये जिसके बाद में ओलंडीज और ब्रिटिश ने भी श्रीलंका पर कब्जा करने की कोशिश की। सोलहवीं शताब्दी में, यूरोपीय देशों ने श्रीलंका पर कब्जा कर लिया और इसे व्यापारिक राजधानी बना दिया। देश चाय, दालचीनी, रबड़, चीनी, कॉफ़ी और अन्य मसालों का निर्यातक बन गया। पुर्तगाल ने कोलम्बो में अपना पहला दुर्ग बनाया था। पुर्तगालियों ने धीरे-धीरे आसपास के इलाकों पर भी कब्जा कर लिया। श्रीलंका के लोगों को धीरे -धीरे उनसे नफरत होने लगी| उन्होने डचों से मदद की अपील की। 1600 ई. में डचों ने पुर्तगालियों पर हमला बोला और उनकी हत्या कर दी।
लेकिन उन्होने आम जनता पर और भी कठोर कर लगाए। 1600 में एक अंग्रेज का जहाज इस द्वीप पर गलती से आ गया था। कैंडी के राजा ने उसे कैद कर लिया। उन्नीस साल तक कैदी बन कर रहा आखिर में वह यहां से भाग निकला और अपने अनुभवों पर आधारित एक किताब लिखी, जो अंग्रेजों को भी पसंद आई। नीदरलैंड पर फ्रांस का कब्जा करने के बाद, अंग्रेजों को डर था कि श्रीलंका के डच इलाकों पर फ्रांस का नियंत्रण होगा।
इसलिए उन्होने डच राज्यों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया। 1800 के आसपास, अंग्रेजों ने तटीय क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। 1815 में ब्रिटिश ने श्रीलंका को अपने राज्य का हिस्सा बनाया 1918 तक, अंतिम राज्य कैंडी के राजा ने भी आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे अंग्रेजों के पास पूरी श्रीलंका थी। 1930 के दशक में स्वाधीनता की मांग तेज हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 में श्रीलंका को अंग्रेजो से पूरी तरह से आज़ादी मिली
स्वतंत्रता (20वीं शताब्दी):
श्रीलंका को आज़ादी 20वीं शताब्दी में मिली और यह इतिहास की खास घटनाओं में से एक थी। इसका ख़ास कारण ब्रिटिश शासन के खिलाफ लंबे वक्त तक चले विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों और समाजिक परिवर्तनों का परिणाम था।
स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा “सिन्हल निगम” या “सिन्हल संघ” के रूप में जाना जाता है, जिसे 1931 में बनाया गया था। इस संगठन का उद्देश्य था श्रीलंका को ब्रिटिश शासन से मुक्त करना और स्वतंत्रता प्राप्त करना।
दुसरे विश्वयुद्ध के दौरान (1939-1945) ब्रिटिश सरकार ने भी श्रीलंका में स्वतंत्रता की दिशा में कदम बढ़ाया, क्यों की उन को युद्ध के समय व्यापारी समझौतों के चलते अपनी आर्थिक सहायता करने के लिए श्रीलंका के साथ की ज़रूरत थी
स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप, 4 फरवरी 1948 को श्रीलंका ब्रिटिश शासन से आज़ाद हो गया और यह अपना नामकरण करके श्रीलंका नाम से जाना जाने लगा। इस दिन को “आज़ादी दिवस” (Independence Day) के रूप में मनाया जाता है, और यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सव है जो हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। इससे पहले, श्रीलंका को सेलोन (Ceylon) के नाम से जाना जाता था और यह ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था| 1948 में श्रीलंका ने ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी हासिल की। 1972 में श्रीलंका ने स्वयं को ‘श्रीलंका’ के रूप में घोषित किया और गणराज्य का दर्जा दिया।
आधुनिक काल (20वीं से लेकर 21वीं शताब्दी):
स्वतंत्रता टाइगर्स ऑफ तामिल ईलम (LTTE) श्रीलंका में तामिल अलगाववादी संगठन था, जिसका मकसद तामिल ईलम के अलग स्वरूप की स्थापना करना था। यह संगठन 1976 में आया 1983 में एक संधर्ष से इस संघटन की शुरुआत हुई| जिस की वजह से श्रीलंका में एक दशक तक तेजी से हिंसा बढ़ी और संघर्ष हुऐ |
LTTE का प्रमुख नेता वेलुपिल्लई प्राभाकरन था, जिन्होंने तामिल ईलम के एक आज़ाद और अलग स्टेट की मांग की थी। LTTE के सदस्य उसकी नेतृत्व में आतंकवादी हमलों और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देते थे, इस वजह से इस संगठन को एक आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है।
LTTE का संघटन श्रीलंका सरकार के साथ तीन दशक तक चलता रहा, और इसके दौरान भारत सरकार भी इस संघटन के विरुद्ध कई बार कदम उठाई। 2009 में एक महत्वपूर्ण संघर्ष के बाद, श्रीलंका सरकार ने LTTE के प्रमुख नेता प्राभाकरन को मार दिया जिस की वजह से संगठन कमजोर हो गया |
LTTE के संघटन के कमजोर होने के बाद, श्रीलंका में बिगड़े हुए हालात सही होने लगे| सुकून और सुरक्षा स्थिति में भी सुधार हुऐ , लेकिन इसके दौरान कई मासूम लोगों की जानें जाने का आरोप भी इस पर था। इसके परिणामस्वरूप, LTTE एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है, और यह संगठन हमेशा विवादों में रहा |
1983 में एक दशकों तक चलने वाले सिविल युद्ध के बाद, 2009 में स्वतंत्रता टाइगर्स ऑफ तामिल ईलम के साथ संघर्ष के बाद, श्रीलंका सरकार ने सिविल युद्ध को समाप्त किया।
श्रीलंका की राजधानी:
श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो (Colombo) है |साथ ही यह सबसे बड़ा शहर भी है कोलंबो श्रीलंका के पश्चिमी तट पर समुद्र किनारे पर बसा है | 19वीं सदी में अंग्रेजों के आगमन के बाद कोलंबो श्रीलंका की राजधानी बन गया।और यह श्रीलंका की आर्थिक, सांस्कृतिक,और पॉलिटिकल गतिविधियों का मुख्य केंद्र है। यहाँ पर सरकारी दफ्तर, विदेशी दूतावास, व्यापारिक केंद्र, शैक्षिक संस्थान, और अन्य महत्वपूर्ण संस्थान हैं।
2024 में कोलंबो की कुल जनसंख्या 5,648,000 है। यह जनसंख्या के हिसाब से श्रीलंका का सबसे बड़ा शहर है। कोलंबो की साक्षरता दर 91% है।कोलंबो अपने ऐतिहासिक स्थलों, आधुनिक आकर्षणों और प्राकृतिक सुंदरता के मिश्रण से दुनिया भर के टूरिस्ट को अपनी और खिचता है|यह शहर कई तरह की जातियों, धर्मों और भाषाओं का मिश्रण है|
कोलंबो के पास एक महत्वपूर्ण समुद्र बंदरगाह भी है, जिसका नाम “कोलंबो पोर्ट” है, और यह श्रीलंका की व्यापारिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है। कोलंबो दक्षिण एशिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है|कोलंबो एक अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र का भी मुख्य हुब है जिसका नाम “बंदरनायके अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र” है।
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श्रीलंका में घुमने की जगह:
1.सिगिरिया: सिगिरिया यह जगह गिरिधाम या गिरिस्तान के नाम से भी जानी जाती है, यह एक पत्थरी किला है जिस को पहाड़ के ऊपर बनाया गया था जिसे लंका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विश्व धरोहर स्थल है और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
2.कांध्य :एक गार्डन सिटी है जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटकों के लिए विभिन्न गिनती की गई तामिल ईलम मंदिर हैं|
3.कांद्य: कांद्य श्रीलंका के मध्य भूमि में स्थित है और यहां पर प्राचीन बौद्ध और हिन्दू मंदिर हैं, जिन्हें दुर्गा मंदिर के रूप में जाना जाता है।
4.नूवरा एलिया:यह एक प्राकृतिक श्रीलंकाई शहर है जिसे वन्यजीवन और शीतल तापमान के लिए जाना जाता है। यहां पर बहुत सारे पानी के झरने हैं जैसे कि रंबोडा झरना।
5.आनुराधपुरा:
यह एक प्राचीन शहर है जिसे श्रीलंका की प्राचीन राजधानी के रूप में जाना जाता है। यहां पर प्राचीन बौद्ध स्तूप और मंदिर हैं।
6.जाफना: यह श्रीलंका के उत्तरी भाग में स्थित है और यहां पर जाफना लघुहिना, नागदीपा, और डरुस्सलाम के विश्व धरोहर स्थल हैं।
7.याला नेशनल पार्क: याला एक प्राकृतिक वन्यजीवन संरक्षण क्षेत्र है और यहां पर शेर, बाघ, गज, और अन्य वन्यजीवन प्राणियां हैं।
8.पोलोन्नारुवा:
यह एक प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थल है जिसमें अंबालंगोदा राजमह विहार, गाल विहार, और दीपा विहार जैसे महत्वपूर्ण स्थल हैं।
9.गाल्ले: यह एक चार्मिंग बीच शहर है जिसमें प्राचीन किला और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में जाने जाने वाले गाल्ले फोर्ट होते हैं।
10.हैकगला: यह श्रीलंका की सबसे ऊंची पर्वत शिखर है, और यह एक प्राकृतिक हाइकिंग और प्राकृतिक सौंदर्य का स्वर्ग है।
श्रीलंका का भूगोल:
श्रीलंका, एक द्वीप राष्ट्र होते हुए भूगोलिक रूप से बहुत ही रोचक है। यहां श्रीलंका के भूगोल के महत्वपूर्ण पहलूओं की विस्तार से जानकारी दी गई है:
श्रीलंका, भारतीय महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है और इंडियन ओशन के मध्य में फैला हुआ है। यह द्वीप राष्ट्र है और इसका द्वीपकर भूगोल अद्वितीय है। श्रीलंका का कुल क्षेत्रफल लगभग 65,610 वर्ग किलोमीटर है। इसका भूपृष्ठ पर्वतीय है, और इसमें कुछ महत्वपूर्ण पर्वत श्रृंग, जैसे कि पिधुरुतलगला (2,524 मीटर), समनाल कंडा (2,243 मीटर), और अदाम्स पीक (2,243 मीटर) शामिल हैं। श्रीलंका के द्वीप पर कई छोटे और बड़े झील और नदियां हैं, जैसे कि महाविलाच्छि झील, कालानी नदी, और गींगा नदी।
श्रीलंका का तटीय क्षेत्र लगभग 1,600 किलोमीटर की लम्बाई में है और यहां पर बहुत खुबसूरत समुद्री बिच है। इसके तटीय क्षेत्र में और भी कई खुबसूरत और फेमस बीच हैं, जैसे कि ऊनावटुनी बीच, मिरिस्सा बीच, और हिक्काडुवा बीच।
श्रीलंका की जलवायु उपमहाद्वीपीय होती है और यहां ज़्यादातर वर्षा मानसूनी बारिशों के आगमन के साथ होती है। यहां की जलवायु विभिन्न भागों में अलग-अलग होती है, जैसे कि पश्चिमी भूमि में उष्णकटिबंधीय और पूर्वी भूमि में बाष्पीय वर्षा होती है।
श्रीलंका में वन्यजीवों की भी अच्छी विविधता देखने को मिलती है, जैसे कि बग़, अलू, सिंह, लेपर्ड, और गड्ढा इत्यादि। यहां पर कई वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र भी हैं, जैसे कि याला राष्ट्रीय उद्यान और विलपट्तु नेशनल पार्क।
श्रीलंका कृषि के लिए भी बोहोत महत्वपूर्ण है, और यहां पर चाय, कॉफी, कोको, और किनौन जैसी महत्वपूर्ण वन्यफसलें उगाई जाती हैं।
श्रीलंका की अर्थ व्यवस्था:
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था विविधता और उपयोगिता के साथ है, और यह अकेले एक द्वीप राष्ट्र के रूप में कई चुनौतियों का सामना करती है, लेकिन यह अपने सौंदर्य और जलवायु के साथ एक महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग भी है। यहां श्रीलंका की मुख्य अर्थव्यवस्था के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं:
कृषि श्रीलंका की मुख्य आर्थिक गतिविधि है और यहां पर धान, कॉको, चाय, रबर, काटन, और किनौन जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
श्रीलंका की चाय विश्व भर में प्रसिद्ध है और यहां की चाय विदेशों में बड़ी मात्रा में भेजी जाती है यह श्रीलंका का महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत है।
श्रीलंका पर्यटन उद्योग में भी अहम भूमिका निभाता है। यहां के सुंदर समुद्र तट, पर्वतीय प्राकृतिक सौन्दर्य, और ऐतिहासिक स्थलों को देखने के लिए विदेशी यात्री आते हैं।
पर्यटन श्रीलंका की आर्थिक वृद्धि और रोजगार के लिए बोहोत खास है और यहां के लोगों के लिए एक प्रमुख आयोजन होते हैं।
उद्योग श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का और एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यहां पर गारमेंट, गारमेंट प्रक्षेपण, कपड़ा, बिजली उत्पादन, और उपग्रह उत्पादन जैसे क्षेत्रों में उद्योगिक गतिविधियां होती हैं।
वित्तीय सेवाएँ भी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में वित्तीय सेवा संस्थान, विमानयात्रा, और वित्तीय तंत्र शामिल हैं।
विदेशी निवेश भी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के लिए बोहोत एहम है, और यहां पर विभिन्न उद्योगों में निवेश की अनुमति होती है, जैसे कि पर्यटन, बैंकिंग, और बाह्य व्यापार।
श्रीलंका बा:ह्य व्यापार में भी भाग लेता है और यहां से निर्यात और आयात होता है। बाह्य व्यापार में विभिन्न आयात और निर्यात आइटम्स शामिल हैं, जैसे कि पाकीजा, वस्त्र, और गहने।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था विविध है और विभिन्न क्षेत्रों में आधारित है, जिसमें कृषि, पर्यटन, उद्योग, और वित्तीय सेवाएँ शामिल हैं। पर्याप्त सामर्थ्य, सबलता, और विकास के लिए उपयुक्त भूमि और नैतिक उत्कृष्टता के साथ, श्रीलंका अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती से समर्थन देता है।
श्रीलंका में घुमने का खर्च :
श्रीलंका में घूमने का खर्च आपके यात्रा की योजना, आपकी सुविधाओ और आपके बजट पर निर्भर करेगा। यहां कुछ मुख्य तत्व हैं जो श्रीलंका में घूमने के खर्च को प्रभावित कर सकते हैं:
यात्रा की दिनांक: यात्रा के मौसम और पर्व के समय पर निर्भर करता है, जैसे कि क्रिसमस या पहले से ही बंद रहने वाले दिन। उचित समय पर यात्रा करने से आपको अधिक किराया और अधिक भीड़ से बचाया जा सकता है।
होटल और आवास: श्रीलंका में होटल और आवास की कीमतें विभिन्न श्रेणियों में उपलब्ध होती हैं। आपके चयन के आधार पर आपको लक्जरी या बजट होटल चुनने की अनुमति होती है।
खानपान: खाने का खर्च भी आपके खाने की पसंद और रेस्टोरेंट के चयन पर निर्भर करेगा। स्थानीय खाना खाने का प्रयास करने से आपको अधिक बचत हो सकती है।
यात्रा के बीच यात्रा: श्रीलंका में यात्रा करने के लिए आपको ट्रांसपोर्ट के लिए खर्च करना होगा ,जैसे कि टैक्सी, बस, या ट्रेन।
दर्शनीय स्थलों का दौरा: श्रीलंका में कई दर्शनीय स्थलों के दौरे के लिए टिकट की कीमतें भी हो सकती हैं।
शॉपिंग: यात्रा के दौरान खरीदारी करने का खर्च भी आपके बजट को प्रभावित कर सकता है।
वीजा और यात्रा संबंधित प्रलेखन: अगर आप भारतीय नागरिक हैं, तो श्रीलंका जाने के लिए वीजा की आवश्यकता हो सकती है और वीजा फीस देनी होगी।
श्रीलंका के बारे में रोचक तथ्य:
श्रीलंका एक द्वीप राष्ट्र है और इसके पास अधिकांश भूमि परिस्थित है। यह द्वीप देश भारत के दक्षिण में समुद्र के माध्यम से विभाजित है।
श्रीलंका का सिगिरिया शिखर एक प्राचीन किला है जिसे “लियन रॉक” के नाम से भी जाना जाता है। यह यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जो बेहद आकर्षक है |
श्रीलंका अयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध है, और यहां बहुत सी चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहां के चिकित्सक और वनस्पतियों का उपयोग प्राचीन और प्रमुख रूप से आपके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए करते हैं।
श्रीलंका में विभिन्न धर्मों के अनुयायी रहते हैं, जैसे कि बौद्ध, हिन्दू, इस्लाम, और ख्रिश्चियन। श्रीलंका में विश्व धर्मसंगम के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जैसे कि दंबुल गुफाएँ और कांबल गॉले।
श्रीलंका विश्व की प्रमुख धातु प्रक्रिया केंद्रों में से एक है, और यह गहनों के लिए महत्वपूर्ण धातु जैसे कि जीम्स, सफायर्स, और रत्नों की प्रमुख आपूर्ति करता है।
श्रीलंका की प्रमुख भाषा सिन्हला है, लेकिन तमिल भी एक महत्वपूर्ण भाषा है, और देश के तमिल और सिन्हला समुदायों के बीच भाषा संघर्ष का मुद्दा रहा है।
श्रीलंका में विविध जलवायु है, जिसमें तापमान समुद्र तट पर अधिक गर्म होता है और पहाड़ों में ठंडा होता है। इसके परिणामस्वरूप, यहां परियों की वनस्पति और वन्यजीवों की अधिकता है, और यह एक प्रमुख वन्यजीव सफारी स्थल है।
भारत के नक़्शे में क्यों दिखाई देता हे श्रीलंका का नक्शा:
956 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से Convention of the law of the Sea का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों की समुद्री सीमा और उनसे जुड़ी संधियों व समझौतों पर गहन चर्चा की गई। और इस चर्चा में देशों की समुद्री सीमा को लेकर अलग-अलग कानून बनाए गए इस कानून को लॉ ऑफ सी कहते है|
इस के तहत किसी भी देश के नक्शे में उस देश की बेसलाइन से 370.4 किलोमीटर की सीमा को दिखाना अनिवार्य है |इस वजह से समुद्री नियम के मुताबिक, भारत को अपने नक्शे में श्रीलंका को दिखाना अनिवार्य है। यही वजह है कि हम भारत के नक्शे में श्रीलंका को भी देखते हैं।
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