Bhutan Haven of Peace -ऐसा देश जो दुनिया से खुद को अलग रखना चाहता है|
आज हम बात करने जा रहे है भूटान के बारे में Bhutan Haven of Peace blog में आप जानेगे क्यों यह देश खुद को बाहरी दुनिया से खुद को अलग रखना चाहता है|
कुछ लोगों का मानना है कि भूटान शब्द संस्कृत शब्द “भू-उत्थान” से आता है, जिसका अर्थ है “ऊंची भूमि।” कुछ लोगों का मानना है कि यह तिब्बत का अन्त या भोट-अन्त (भोट-अन्त) का बदला है। भूटान को ड्रुग-युल (अझदहा का देश) और ड्रुगपा कहते हैं। पूर्व में इस कै और भी कई नाम रहे है|
भूटान, जिसका आधिकारिक नाम भूटान राज्य है, दक्षिण एशिया के पूर्वी हिमालय में स्थित है। चीन उत्तर में है, और भारत दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में है। भूटान की अद्भुत संस्कृति, आकर्षक दृश्यों और पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति उच्च प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
भूटान (भोटान्त) हिमालय पर बसा दक्षिण एशिया का छोटा लेकिन महत्वपूर्ण देश है। यह तिब्बत (चीन) और भारत के बीच एक द्वीप है। यह देश ड्रुग युल है, जिसका अर्थ है “अझदहा का देश”। यह देश मुख्यतः पहाड़ी है, सिर्फ दक्षिण में कुछ समतल है। यह सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से तिब्बत से जुड़ा हुआ है, लेकिन वर्तमान में यह देश भारत के करीब है | और भारत के खास मित्रों में से एक है।
100 किमी की दूरी पर 150 से 7000 मीटर की ऊँचाई वाले भूटान का धरातल दुनिया में सबसे ऊबड़ खाबड़ धरातलों में से एक है! भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा मालदीव से अब भूटान ने प्रवेश लेना शुरू कर दिया है। जब की पहले इन देशो से किसी तरह का कोई कर नहीं लेता थाभूटान की संस्कृति बौद्ध धर्म पर आधारित है, जिसमें त्सेचु जैसे धार्मिक उत्सव महत्वपूर्ण हैं। देश की भाषा, ज़ोंगखा, और पारंपरिक परिधान, घो और किरा, भूटान की सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करते हैं।
भूटान का इतिहास :
भूटान का इतिहास मिथकमय है। भूटान में 2,000 ईसा पूर्व बस्तियाँ बसनी शुरू हुईं। 7वीं सदी में, तिब्बती राजा सोंग्त्सेन गम्पो ने भूटान में बौद्ध धर्म का प्रसार किया।गुरु रिनपोछे (पद्मसंभव) ने 8वीं सदी में बौद्ध धर्म का प्रसार किया और भूटान में कई मठ स्थापित किए। उस दोरान तिब्बत में अशांति होने के कारण यहाँ बहुत से बौद्ध भिक्षु आये| प्राचीन काल में यह क्षेत्र तिब्बत और भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावों के अंतर्गत था। 12वीं शताब्दी में स्थापित ड्रुक्पा कग्युपा सम्प्रदाय आज भी यहाँ सबसे बड़ा सम्प्रदाय है। धार्मिक इतिहास इस देश का राजनीतिक इतिहास से बहुत जुड़ा हुआ है।
17वीं सदी में, शबद्रंग न्गवांग नामग्याल ने भूटान का एकीकरण किया और इसे एक राष्ट्र-राज्य के रूप में संगठित किया। उन्होंने भूटान की धार्मिक और प्रशासनिक संरचनाओं की स्थापना की और विभिन्न क्षेत्रों को एकजुट किया।
1865 में, ब्रिटेन और भूटान ने सिनचुलु संधि पर हस्ताक्षर किए. इस संधि में भूटान ने अपने सीमावर्ती कुछ दक्षिण भाग की ज़मीन के हिस्से के बदले कुछ वार्षिक अनुदान दिए। 19वीं सदी में, भूटान ने ब्रिटिश भारत के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंध स्थापित किए।
1907 में, ब्रिटिश शासन के तहत वहाँ राजशाही की स्थापना हुई। उग्येन वांगचुक को भूटान का पहला राजा घोषित किया गया| वांगचुक वंश के शासन में, भूटान स्थिरता और विकास की और आगे बढा, तीन वर्ष बाद एक और समझौता हुआ, जिसके अनुसार ब्रिटिश राजी हुए कि वे भूटान के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन इंग्लैंड भूटान की विदेश नीति निर्धारित करेगा।
1947 के बाद भारत को भी यही स्थिति मिली। 1949 में भारत-भूटान समझौते के दो साल बाद, भारत ने अंग्रेजों के अधीन भूटान की सारी जमीन वापस दी। इस समझौते ने भारत को भूटान की विदेश नीति और रक्षा नीति में बहुत बड़ा योगदान दिया। जिससे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित हुए।
भूगोल और दृश्यता:
भूटान की शानदार दृश्यता उत्तर में शिखरों और घाटियों से दक्षिण में उपनगरीय मैदानों तक फैलती है। भूटान का 98.8% हिस्सा पहाड़ों से ढका है, जो इसे दुनिया का सबसे पहाड़ी वाला देश बनाता है।
भूटान का उत्तरी हिस्सा हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जहाँ कंचनजंगा (भूटान की सबसे ऊँची चोटी) जैसी उच्च चोटियाँ हैं। पूर्वी हिमालय, जिसमें 7,000 मीटर (23,000 फीट) से अधिक ऊंचाई के शिखर हैं, देश का घर है।
7.570 मीटर (24,840 फीट) की ऊँचाई पर स्थित गांगखर पुएंसम, भूटान का सबसे ऊँचा शिखर और दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा अनचलित पहाड़ी है।
मध्य भूटान में पहाड़ियाँ और घाटियाँ हैं, जिनमें उपजाऊ कृषि भूमि और प्रमुख नदियाँ शामिल हैं। इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण नगर और धार्मिक स्थल स्थित हैं। भूटान चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। उत्तर में सबसे ऊँची चोटी कुला कांगरी (7553 मीटर) है। गांगखर पुएनसुम, जिसका ऊँचाई 6896 मीटर है, अभी तक किसी ने नहीं चढ़ा है। देश का दक्षिणी भाग कम ऊँचा है, इस हिस्से में तराई क्षेत्र है, जहाँ उपोष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है। यहाँ ब्रह्मपुत्र की घाटी से कई उपजाऊ और सघन घाटियाँ मिलती हैं।
देश का लगभग 70% हिस्सा वनों से घिरा है। यहाँ की वनस्पति घनी है और यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है।यहाँ शंकुधारी, चौड़ी पत्ती वाले वन, और अल्पाइन वनस्पति पाई जाती है। देश की अधिकांश जनसंख्या मध्यवर्ती क्षेत्रों में रहती है। 50,000 लोगों की आबादी वाले देश का सबसे बड़ा शहर थिम्फू है, जो देश के पश्चिमी भाग में है।
यहाँ की जलवायु मुख्य रूप से गर्म है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में ठंडी जलवायु होती है, जहाँ सर्दियों में तापमान काफी गिर जाता है।तथा मध्य भाग में मध्यम जलवायु होती है, जिसमें गर्मी और सर्दी दोनों होते हैं। और दक्षिणी भाग में उपोष्णकटिबंधीय जलवायु होती है, जिसमें गर्म और आर्द्र मौसम होता है।
संस्कृति और धर्म:
भूटान की संस्कृति तिब्बती बौद्ध धर्म से गहरी जुड़ी हुई है और दैनिक जीवन का एक हिस्सा है। देश भर में मोनास्ट्रियां और स्तूप हैं, और धार्मिक उत्सव उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं।
पुरुषों के लिए “घो” और महिलाओं के लिए “किरा”, भूटानी लोग अपने राष्ट्रीय कपड़े पर गर्व करते हैं। ये पारिश्रमिक अवसरों पर पहने जाते हैं और देश की एक मजबूत पहचान का प्रतीक हैं।
भूटान में ग्रस नेशनल हैपिनेस (जीएनएच) एक महत्वपूर्ण विचार है। इसमें आर्थिक सूचकों से अधिक नागरिकों की समग्र कल्याण महत्वपूर्ण है।
भूटान की लगभग आधी आबादी को गांलोप कहते हैं, जो तिब्बत की कुछ प्रजातियों से संबंधित हैं। अन्य जाति भी नेपाल से हैं और नेपाली बोलते हैं। शरछोगपा और ल्होछमपा अगले हैं। यहाँ की आधिकारिक भाषा जोङखा है, और कई अन्य भाषाएँ भी बोली जाती हैं, जिनमें से कुछ खत्म होने के कगार पर हैं।[६]
भूटान की लगभग 75% जनता बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा को अपना आधिकारिक धर्म मानती है। भूटान की लगभग 25 प्रतिशत जनसंख्या हिंदू है। भूटान में रहने वाले हिंदू नेपाली लोगों को ल्होछमपा कहा जाता है। सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भारत से भूटान सबसे करीब है।
भूटान आज भी विदेशियों का प्रवेश नियंत्रित है, यह दुनिया में एक ऐसा देश है जो खुद को दुनिया से अलग रखता है। देश की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और छोटे गाँवों में रहती है। शहरीकरण धीरे-धीरे फैल रहा है। यहाँ के जीवन में बौद्ध विचार महत्वपूर्ण हैं। यहाँ तीरंदाजी राष्ट्रीय खेल है
राजनीतिक तंत्र:
2008 तक भूटान पूर्ण राजतन्त्र था, फिर संविधानिक राजतन्त्र से संसदीय लोकतंत्र में बदल गया। भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंगये वांचुक ने लोकतांत्रिक बदलावों को शुरू किया।
देश की लोकसभा (लोकसभा) और नेशनल काउंसिल (उपरिसद) दो द्विमध्य संसद हैं। भूटान के राजा देश के राज्यपाल हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का नेतृत्व करते हैं।
भूटान का राजा द्रुक ग्यालपो (अब जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक) है। यह पद वंशानुगत है, लेकिन भूटान के संसद में शोगडू को दो तिहाई बहुमत मिल सकता है। शोगडू में 154 सीटें हैं, जिसमें स्थानीय प्रतिनिधि (105), धार्मिक प्रतिनिधि (12) और राजा द्वारा नामांकित प्रतिनिधि (37) होते हैं, जिनके कार्यकाल तीन वर्ष होता है। शोगडू के माध्यम से चुने गए मंत्रिपरिषद राजा को कार्यकारी अधिकार देता है। राजा मंत्रिपरिषद के सदस्यों को चुनता है
अर्थव्यवस्था:
भूटान की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खेती , वन्यजीव और जलविद्युत है। इस कारण भूटान भारत में बिजली निर्यात करता है। भूटान कम से कम 70% जमीन को वनीकरण के तहत रखने की प्रतिबद्धता रखता है और पर्यावरण संरक्षण पर बहुत ध्यान देता है।
भूटान,दुनिया की सबसे छोटी अर्थव्यवस्थाओं में से एकहै| भूटान का आर्थिक ढाँचा मुख्य रूप से भारत को अपनी पनबिजली बेचने और खेती और जंगलो पर निर्भर है। भूटान की सरकारी आय का 75% इन ही मुख्य तीन चीजो से होता है| 90 प्रतिशत से अधिक यहाँ के लोग खेती पर निर्भर हैं।
भारत भूटान का मुख्य आर्थिक सहयोगी है। इस का एक कारण यह भी है के तिब्बत की सीमा जो भूटान से मिलती है वो बंद है|कुटीर उद्योग का भी विकास हुआ है| विकास परियोजनाओं जैसे सड़क निर्माण के लिए अधिकांश भारतीय सहयोग आवश्यक हैं। 1970 में भूटान में शुरू हुआ विनिमय उद्योग का काफी विकास हुआ है|इन उद्योगों में सीमेंट, रसायन, लकड़ी के उत्पाद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ है
भूटान की राजधानी :
भूटान की राजधानी थिम्पू है, यह भूटान का सबसे बड़ा शहर भी है और भूटानी संविधानिक प्रणाली के तहत राजधानी के रूप में नामित किया गया है। थिम्पू भूटान का सशस्त्र सेना का मुख्यालय भी है और यह देश की प्रशासनिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है।1955 में थिम्पू को भूटान की प्राचीन राजधानी पुनाखा के स्थान पर राजधानी बनाया गया था| भूटान के तीसरे ड्रुक ग्याल्पो जिग्मे दोरजी वांगचुक ने थिम्पू को1961 में भूटान साम्राज्य की राजधानी बनाया था|
थिम्पू एक पर्याप्त ऊंचाई पर स्थित है और इसका मौसम शीतोष्ण होता है। यहाँ का मुख्य सड़क परिवहन साधना यातायातीकरण का माध्यम है, और शहर में आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। भूटान एक छोटे आकार और अपने परंपरागत संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। थिम्पू भी इसी रूपरेखा का पालन करता है, जहाँ पर्याप्त हरित और खुले स्थल, बगीचे, पार्क और पूर्वाग्रही स्थल होते हैं।
थिम्फू दुनिया की पाँचवीं सबसे ऊँची राजधानी है यह शहर रैडक नदी द्वारा बनाई गई घाटी के पश्चिमी तट पर उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला हुआ है|भूटान अपने अनूठे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है, और यह बौद्ध धर्म का गहन उपासना केंद्र है। यहाँ के आधिकारिक भाषा भूटानी है, लेकिन अंग्रेजी भी बोली जाती है, और सरकारी कामों में उपयोग होती है।थिम्पू भूटान की गरीबी और विकास की दिशा में उद्यमशील प्रयासों की साकार कहानी है, जिसमें परंपरागत और आधुनिक मूल्यों का मिश्रण देखने को मिलता है।
भूटान में घुमने की जगह :
कुरजे लखंग जकर: गुरु रिनपोचे के शरीर के दिवारो के साथ एक गुफा के चारों ओर एक मंदिर है। इसलिए यह देश का सबसे पुराना बौद्ध अवशेष है।
बुद्ध डोरडेन्मा: भूटान के पहाड़ों में एक विशाल शाक्यमुनि की प्रतिमा बनाई गई है।इस प्रतिमा को बनाने में 47 मिलियन अमेरिकी डॉलर लगे थे| इस प्रतिमा में 1 लाख से ज्यादा छोटी -छोटी प्रतिमा भी रखी गई है|
ट्रोंगसा: यहां की परंपरिक सफेद इमारतें और रंग-बिरंगे पौधे हैं, जिन्हें पर्यटक द्वारा काफी अधिक पसंद किया जाता है। ,ट्रोंगसा ऊंची पहाड़ की चोटी पर बसा एक शहर है, जो कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अद्भुत दृश्यों के कारण विख्यात है। इस शहर के अद्भुत और प्रमुख आकर्षणों ‘ट्रोंगसा द्ज़ोंग’ है, जो एक उड़ते हुए ड्रैगन जैसा दिखाई देता है।
जाकर: यह छोटा सा शहर है जिसे भूटान का लिटिल स्विजरलैंड भी कहा जाता है।जकार के प्रमुख आकर्षणों में से एक है जंबे लखांग, जो 7वीं शताब्दी का मंदिर है, जकार शहर प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन मंदिरों और पारंपरिक भूटानी वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है।
त्राशिगांग: त्राशिगांग को भूटान में पूर्व का गहना के रूप में जाना जाता है।यह जगह भूटान के पूर्वी हिस्सें में स्तिथ है
दोचुला दर्रा: यह दोचुला दर्रा हिमालय के सबसे शानदार दृश्य को प्रस्तुत करने वाला एक दर्रा के रूप में जाना जाता है। इस की दुरी राजधानी थिम्पू से 30 km है|शहीद हुए भूटानी सैनिकों की याद में दोचूला दर्रा को बनाया गया|
थिम्फु: भूटान की राजधानी थिंफू हिमालय की सबसे ऊंची पर्वतमाला पर स्थित है। थिंफू भूटान के सबसे बड़े शहरों में से एक हैं| थिम्फू एक मात्र ऐसी राजधानी है जहां पर कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है|
पारो: यह भूटान में घूमने की एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक इमारतों से भरा हुआ खूबसूरत जगह है|पारो प्राचीन काल से भूटान के बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है।
फुंटशोलिंग:यह हिमालय पर्वतमाला की तलहटी में बसा हुआ खूबसूरत जगह है। इस जगह से यह शहर भारत से अपनी सीमा साझा करता है, फुंटशोलिंग मुख्य रूप से भूटान के संस्कृति और परंपराओं के वजह से काफी ज्यादा फेमस है, इस जगह
वांगडू फोडंग: यह वांगडू फोडंग प्रकृति प्रेमियों द्वारा पसंद किया जाने वाला एक खूबसूरत एवं शानदार जगहों में से एक हैं।आश्चर्यजनक मठों, प्राचीन मंदिरों, सुंदर गांव, समृद्ध वन्यजीवों, हरा भरा हरियाली, प्राचीन और भव्य दृश्य, इस जगह देखने को मिलेगे|
फोबजीखा: फोबजीखा भूटान में देखने लायक एक खूबसूरत एवं आकर्षक जगह है। इस घाटी को गैंगटैंग घाटी के नाम से भी जाना जाता है|यह घाटी पक्षी देखने वालों के लिए भी बहुत लोकप्रिय है |इस का आकार कटोरी की तरह दिखाई देता है|
जिग्मे दोरजी राष्ट्रीय उद्यान: यह उद्यान 4316 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।भूटान के अन्य राष्ट्रीय उद्यान में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। 1974 में इस उद्यान को बनाया गया था |
भूटान यातायात :
भूटान के अधिकांश हिस्से में जंगलों और पहाड़ों के कारण यातायात कम है। भूटान में एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पारो है। यह पारो जिले से 6 किमी. या 3.8 मील दूर, 5,500 फीट या 18,000 फीट की ऊँचाई पर है। भारत के दिल्ली, बागडोगरा, गुवाहाटी, मुम्बई, नेपाल के काठमांडू और बांग्लादेश के ढाँका से उड़ानें इस हवाई अड्डे से चलती हैं। भूटान एयरलाइंस रोजाना थाईलैंड के बैंकॉक जाता है। रेलवे और सड़क मार्ग दूसरा विकल्प हैं।
लेकिन भूटान भारत की केवल तीन दक्षिण सीमा से जुड़ता है: फूएंसोल्लिंग (दक्षिण), जेलीजू (मध्य) और जोंगख़र (पूर्व)। भूटान के उत्तरी हिस्से में चीन की कोई सीमा नहीं है। भूटान जाने के लिए आपको फूएंसोल्लिंग शहर में शाही सरकार से प्रमिट लेना होगा। पश्चिम बंंगाल में स्थित जयगांव भारत-भूटान की सीमा पर है, लेकिन इस एंट्री परमिट से भारतीय पर्यटक सिर्फ पारो और थिम्फू तक जा सकते हैं। भारत के सिलीगुड़ी लाइन पर स्थित हाशियारा शहर फूएंसोल्लिंग सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो 17 किमी दूर है।
भूटान जाने का सब से अच्छा टाइम:
भूटान की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय वसंत और सर्दी है। रोडोडेंड्रोन और जकरंडा जैसे फूल वसंत (मार्च से जून) में खिलते हैं। और सर्दियों में, जो अक्टूबर से दिसंबर तक चलती है, बर्फ से ढकी हिमालय की विशालता को देख सकते हैं।
भाषाएँ:
भूटान में आम बोलचाल की भाषा जोंखा है, जो देश की आधिकारिक भाषा है। विशेषकर शहरी क्षेत्रों में और आधिकारिक अवसरों पर भी अंग्रेजी बोली जाती है।भूटानी, या दोज़ोंगख, पश्चिमी भूटान में रहने वाले अधिकांश लोगों की मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा है।शार्कोप भाषा पूर्वी भूटान में बोली जाती है, जबकि बुमथांग भाषा बुमथांग क्षेत्र में बोली जाती है। सीमाओं से सटे शहर में अधिकांश लोग नेपाली बोलते हैं। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में अधिकांश लोग अंग्रेजी और हिंदी बोलते हैं।
भूटान के विकास और उसकी पर्यावरणीय और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए उसकी विशिष्ट मिश्रण को अंतरराष्ट्रीय ध्यान मिला है। यह देश की आधुनिकता और परंपरा के अनूठे मेल ने उसे संरक्षित जीवन शैली की तलाश करने वालों के लिए एक आकर्षक स्थान बनाया है।
भूटान के लोगो का भोजन :
चावल हर भोजन के साथ एक प्रधान है; पारंपरिक रूप से लाल चावल, लेकिन सफेद चावल अब भी आम है। मिर्ची या पनीर के साथ पकाए गए सब्जी या मांस व्यंजन के साथ व्यंजन शामिल हैं।
चावल के साथ एमा दत्ती- मिर्च भूटानी भोजन में एक प्रमुख स्वाद है। यह छोटा लाल मलादार मिर्च न केवल हर व्यंजन में जोड़ा जाता है, बल्कि अक्सर इसे कच्चा भी खाया जाता है। भूटानी व्यंजनों मसालेदार मिर्च और पनीर से भरपूर होते हैं। सभी होटल, रिसॉर्ट और रेस्तरां स्वादिष्ट भूटानी भोजन, चीनी, कॉन्टिनेंटल और भारतीय व्यंजनों की पेशकश करेंगे।
भूटानी भोजन का मुख्य भाग चावल है। यह एक या दो साइड डिशों में मांस या सब्जी होता है। ज्यादातर लोग सूअर का मांस, बीफ और चिकन खाते हैं। पालक, कद्दू, शलजम, मूली, टमाटर, नदी खरपतवार, प्याज और हरी फलियाँ आमतौर पर खाई जाती हैं। जैसे जौ और चावल की खेती, देश के विभिन्न भागों में स्थानीय जलवायु पर निर्भर करती है।
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भूटानी व्यंजनों की सूची:
एमा दत्शी: भूटान का राष्ट्रीय व्यंजन है। दत्शी, मिर्च और स्थानीय पनीर का स्वादिष्ट मिश्रण यह खाना लगभग हर खाने का एक प्रमुख स्रोत है और पूरे देश में उपलब्ध है। एमा दत्शी में हरी बीन्स, फर्न, आलू और मशरूम शामिल हैं।
मोमोज: ये तिब्बती पकौड़े सूअर का मांस, बीफ या गोभी और पनीर से बनाए जाते हैं। यह विशेष अवसरों पर खाया जाता है।
फकसा पोर्क: मसालेदार लाल मिर्च से पकाया गया पोर्क। इस डिश में पालक सब्जी या मूली भी हो सकते हैं।
जशा मारू: चिकन, टमाटर और अन्य सामग्री से मसालेदार कीमा बनाई जाती है, जो आमतौर पर चावल के साथ परोसी जाती है।
हर नोट: शलजम साग, (पनीर), पालक और अन्य सामग्री से बना एक प्रकार का अनाज पकौड़ी है।
गोएप या ट्रिप: ट्रिप कई देशों में कम हो गया है, लेकिन भूटान में अभी भी लोकप्रिय है। यह मसालेदार मिर्च और मिर्च पाउडर के साथ पकाया जाता है, जैसा कि अधिकांश अन्य मांस व्यंजनों में होता है।
लाल चावल: यह भूरे चावल की तरह पौष्टिक है। यह हल्का गुलाबी, मुलायम और थोड़ा चिपचिपा होता है जब पक जाता है।
भूटान के रोचक तथ्य :
1.यह देश दुसरे देशो से अलग रहता है |
ब्रिटेन भूटान से कूटनीतिक संबंध नहीं रखता। इसने अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सदियों तक दुनिया से संपर्क नहीं बनाया।1999 साल था जब यहां इंटरनेट और टेलीविजन की सुविधा दी गई। 1970 में विदेशी पर्यटकों को यहां आने की अनुमति दी गई। अब भी अधिकारी बाहरी हस्तक्षेप पर नज़र रखते हैं।
2. परिस्थितियां तेजी से बदलने लगी हैं:
अब राजधानी थिम्पू में स्मार्टफोन और कराओके बार आम हैं। युवा यहां बहुतायत में हैं और सोशल मीडिया को आसानी से अपनाया है। इससे स्ट्रीट फ़ैशन और राजनीति में अधिक खुलकर बहस हो रही है।
3. पर्यावरण के क्षेत्र में प्रमुख:
भूटान कई कारणों से वैश्विक रुझानों में अग्रणी रहा है। 1999 से वहां प्लास्टिक की थैलियां प्रतिबंधित हैं, और तंबाकू लगभग पूरी तरह से गैरकानूनी है। कानून के अनुसार, देश के 60% भाग में जंगल होना चाहिए।
4. यहां पहुंचना अभी भी मुश्किल है:
शानदार प्राकृतिक सौंदर्य और शानदार संस्कृति के बावजूद, यह पर्यटन को बड़े पैमाने पर बचा रहा है, और यह जानबूझकर हुआ है।सरकार पर्यटकों को सीमित करती है और दक्षिण एशिया से बाहर आने वालों से प्रतिदिन 250 डॉलर वसूलती है। पर्यटन अब आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भूटान के बौद्ध मंदिर की तस्वीर, GETTY का दावा है कि पर्यटन स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण पर “कम प्रभाव” डालता है और स्थानीय विशिष्टता को बचाता है। लेकिन सरकारी ऋण बढ़ाने के साथ ही अधिक पर्यटकों को आने देने की मांग उठती है।
5. पैमाने आर्थिक नहीं हैं:
भूटान का जीवन स्तर सकल राष्ट्रीय खुशी (GNI) से मापा जाता है, न कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP)। सरकार का कहना है कि इसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का संतुलन बनाया जाता है। सकल राष्ट्रीय खुशी केंद्र इसकी रेटिंग को मानता है कि इसकी ज़िम्मेदारी एक व्यक्ति की है जो दूसरे पक्ष को भी समझता है। बहुत से भूटानी अपनी ज़िंदगी से खुश हैं।
अब प्रधानमंत्री ने भी माना कि इस विचार का बहुत अधिक उपयोग हो चुका है और यह भ्रष्टाचार और खराब जीवन स्तर की समस्याओं को छुपाता है। यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, जहां करीब 70% युवा बेरोज़गार हैं|
6.लेकिन हर व्यक्ति खुश नहीं है:
1958 में भूटान में दासता खत्म हो गई। 1990 में तिब्बत मूल की बहुमत आबादी को समर्थन देने वाली कई नीतियों के कारण अल्पसंख्यक नेपाली समुदायों में संघर्ष हुआ। इनमें से हज़ारों ने भागकर नेपाल में बने शरणार्थी शिविरों में शरण ली, जिसकी स्थिति आज भी चर्चा में है। भूटान में रहने वाले कुछ लोगों का कहना है कि वे अभी भी भेदभाव का शिकार हैं।
7. बिजली निर्यात:
भूटान का मुख्य निर्यात बिजली है, वह भारत को पनबिजली बेचता है. इसके अलावा लकड़ी, सीमेंट, कृषि उत्पाद और हस्तशिल्प का भी निर्यात करता है
8. सैनिक:
भूटान की सेना है, लेकिन उसमें नौसेना नहीं है क्योंकि वह चारो और से घिरा है। इसमें वायुसेना भी नहीं है, और भारत इस क्षेत्र में उनकी देखभाल करता है।
9 .और वे वास्तव में पेड़ लगाना पसंद करते हैं:
1,08,000 पौधे लगाकर हजारों लोगों ने साल की शुरुआत में अपने राजा-रानी के पहले बच्चे, राजकुमार ग्यालसे, का जन्मदिन मनाया।
भूटान में लोग पेड़ लगाना पसंद करते हैं। यहां वह सहानुभूति, सुंदरता और लंबे जीवन के प्रतीक हैं। भूटान ने 2015 में एक घंटे में 50,000 पेड़ लगाने का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। हैं
10.भूटान के लोग अपने राजा को प्यार करते है:
2006 में राजा जिग्मे खेसार नामग्येल वांगचुक ने देश में बहुत कुछ बदलाव लाए हैं।1998 में उनके पिता ने कुछ निरंकुश अधिकार छोड़कर इसकी शुरुआत की थी। अब हर स्तर की सरकार में चुनाव होते हैं। भारत, ब्रिटेन और अमरीका में पढ़े राजा की अब भी पूजा की जाती है और रानी जेटसुन पेमा बहुत प्यारी हैं।राजा को पने चाहते हैं।
conclusion:
Bhutan Haven of Peace blog में आप ने जाना भूटान एक ऐसा देश है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और शांति के लिए बोहोत फेमस है। हिमालय की गोद में बसा यह राष्ट्र अपनी अनूठी पहचान और परंपराओं को संजोए हुए है। भूटान न केवल पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग है, बल्कि एक ऐसी जगह भी है जहाँ आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून पाया जा सकता है। यहाँ का हर कोना एक नई कहानी और अनुभव से भरा हुआ है, जो इसे वास्तव में अनोखा बनाता है।