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Junagadh: A Historical Gem-जुनागढ़ के इतिहास और विलय की जानकारी 2024

Junagadh: A Historical GemJunagadh: A Historical Gem-जुनागढ़ के इतिहास और विलय की जानकारी 2024

आज हम ऐसी जगह के बारे मे जानेगे जिस का इतिहास बोहोत पुराना है | Junagadh: A Historical Gem -जुनागढ़ के इतिहास और विलय की जानकारी आज हम इस लेख मे देने वाले है |

यह शहर गुजरात का 7वां सबसे बड़ा शहर है,यह सौराष्ट्र राज्य और बाद में बॉम्बे राज्य का हिस्सा था। 1960 में, महा गुजरात आंदोलन के बाद, यह नवगठित गुजरात राज्य का हिस्सा बन गया।यह मुस्लिम शासक बाबी नवाब के राज्य जूनागढ़ की राजधानी था।

जूनागढ़ सिटी  गिरनार पहाड़ियों के निचले हिस्से पर बसी है।  यह भी कह सकते है की मंदिरों की भूमि जूनागढ़ गिरनार पर्वत की गोद में बसा हुआ है।जूनागढ़ बहुमूल्य संस्कृति का धनी रहा है। इसका उदाहरण है जूनागढ़ की अनोखी स्थापत्य कला, जिसकी झलक जूनागढ़ में आज भी देखी जा सकती है।

जूनागढ़ दो भागों में बटा हुआ है। एक हिस्से में चारो ओर दीवारों से किलेबन्‍दी की गई है। और दूसरा हिस्सा अपरकोट एक प्राचीन दुर्ग है जो शहर से बहुत ऊपर स्थित है। यह किला मौर्य और गुप्त शासकों के लिए बहुत मजबूत साबित हुआ, अपरकोट का प्रवेशद्वार हिंदू तोरण स्थापत्य कला का अच्छा नमूना है।

अगर आप गुजरात घूमने की सोच रहें हैं तो जुनगाढ़ आपको जरूर जाना चाहिये। गिरनार पहाड़ी की तलहटी में बसे  जूनागढ़ में 800 से ज्यादा हिन्दू और बौद्ध मंदिर अवस्थित हैं।यहाँ की पहाड़ी पर बौद्ध और हिन्दू धर्म के सैकड़ों मंदिर में लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। जूनागढ़ की बौद्ध गुफाएं और मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से बड़ा ही लाजबाब है।साथ ही यहाँ के पर्वत पर कई जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं।यहाँ 100-700 ई. के दौरान बौद्धों द्वारा बनाई गई गुफाओं के साथ एक स्तूप भी है |

इस पर कई वंशों ने शासन किया। यहां समय-समय पर हिंदू, बौद्ध, जैन और मुस्लिम, इन चार प्रमुख धर्मों का प्रभाव रहा है। विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक शाक्तियों के समन्वय के कारण जूनागढ़ बहुमूल्य संस्कृति का धनी रहा है।

जूनागढ़ का मतलब होता है पुराना किला। गिरनार पहाड़ी पर स्थित जूनागढ़ शहर का नाम भी जूनागढ़ के किले के नाम पर ही रखा गया है। सन 1947 तक जूनागढ़ वर्तमान गुजरात राज्य के सौराष्ट्र इलाके में स्थित एक रियासत था। अपने नाम के अनुसार ही जूनागढ़ का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता  है।

जूनागढ़ रियासत की गिनती आजादी से पहले भारत के एक प्रसिद्ध रियासत में हुआ करती थी।जिसकी अधिकांश आबादी हिंदू थी।जूनागढ़ के नबाब महावत खान ने जूनागढ़ को भारत के बजाय पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी।के 80% हिन्दू आबादी की परवाह नहीं की और पाकिस्तान मे इस  हिस्से को शामिल करने की कोशिश की |

जूनागढ़ का इतिहास

जूनागढ़ का इतिहास बताता है की यह कभी चन्द्रगुप्त मौर्य से लेकर सम्राट अशोक के अधीन रहा। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। यह [चूड़ासमा की राजधानी थी। यह एक रियासत थी।गिरनार के रास्ते में एक गहरे रंग की बेसाल्ट चट्टान है, जिस पर तीन राजवंशों का प्रतिनिधित्व करने वाला शिलालेख अंकित है।

जूनागढ़, भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यह शहर पौराणिक काल से ही अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। जूनागढ़ पूर्व हड़प्पा कालीन स्थलों की खुदाई के लिए भी जाना जाता है। जूनागढ़ अपने अंदर खूबसूरती और इतिहास के अनेकों पलों को अपने में सँजोये हुए है। जूनागढ़ कभी मगध साम्राज्य के अधीन रहा। 15वीं शताब्दी तक राजपूतों का गढ़ रहे जूनागढ़ पर 1472 में गुजरात के महमूद बेगढ़ा ने क़ब्ज़ा कर लिया, जिन्होंने इसे मुस्तफ़ाबाद नाम दिया और यहाँ एक मस्जिद बनवाई, जो अब खंडहर हो चुकी है।

जूनागढ़ का इतिहास प्राचीन काल में उल्लेखनीय है। इस क्षेत्र का पौराणिक नाम ‘नवनगर’ था, जो संस्कृत शब्द ‘नव’ (नौ) और ‘नगर’ (नगरी) से मिलकर बना है। मान्यता के अनुसार, नवनगर को लोकमान्य श्रीकृष्ण द्वारका का एक महत्वपूर्ण नगरी बताया गया है। इसके अलावा, जूनागढ़ को आदि शंकराचार्य ने भी अपनी धार्मिक यात्रा के दौरान प्रतिष्ठित किया था।

जूनागढ़ का इतिहास मध्यकालीन काल में भी महत्वपूर्ण रहा। यह क्षेत्र गुजरात के सूरत सुल्तानत और मुस्लिम शासकों के अधीन था। 14वीं और 15वीं सदी में, गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह के शासनकाल में, यह एक महत्वपूर्ण नगरी बन गया था। जूनागढ़ बंदरगाह के रूप में भी महत्वपूर्ण था और यह व्यापार और धर्म के लिए एक अहम केंद्र था।

ब्रिटिश शासन के समय में, जूनागढ़ ब्रिटिश भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था के विकास का एक अहम केंद्र बन गया था। जूनागढ़ रियासत के राजाओं ने ब्रिटिश सरकार के साथ मित्रता बनाए रखी और अपने राजधानी के रूप में इसे विकसित किया।

जूनागढ़ ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी अपने सशक्त योगदान के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की। गांधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन में भी यहां के नागरिक भागीदार रहे।

जूनागढ़ वर्तमान में भी गुजरात राज्य का एक महत्वपूर्ण शहर है। यह व्यापार, शिक्षा, संस्कृति, और पर्यटन के दृष्टिकोन से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जूनागढ़ के पास स्थित ‘सोमनाथ मंदिर’ भारतीय इतिहास और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है।

अशोक के शिलालेख (आदेशपत्र)

गिरनार जाने के रास्ते पर सम्राट अशोक द्वारा लगवाए गए शिलालेख आप को देखने को मिलेगे |विशाल पत्‍थरों पर उत्‍कीर्ण किया गया है शिलालेखो को  अशोक द्वारा लगवाए गये  14 शिलालेखो मे राजकीय आदेश खुदे हुए हैं।और साथ ही नीतिक नियम का भी उल्लेख किया हुआ है |

अशोक के शिलालेखों पर ही शक राजा रुद्रदाम और स्‍कंदगुप्‍त के अभिलेखों को भी आप देख सकते है |द्रदाम ने 150 ई. में तथा स्‍कंदगुप्‍त ने 450 ई. में ये अभिलेख खुदवाये थे। रुद्रदाम के अभिलेख की यह विशेषता है के संस्‍कृत भाषा का प्रथम शिलालेख माना जाता है।

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जूनागढ़ का विलय किस प्रकार हुआ?

जूनागढ़ का विलय जूनागढ़ की जनता की इच्छा के अनुसार हुआ क्यों की जूनागढ़ की प्रजा भारत मे ही रहना चाहती थी |जूनागढ़ के पास दो नए स्वतंत्र राज्यों में से एक में शामिल होने का विकल्प था नवाब  मुहम्मद महाबत खानजी तृतीय  जिन का जूनागढ़ में शाशन था उन होने जुनागढ़  को पाकिस्तान में मिलाना चाहा लेकिन अधिकांश प्रजा हिन्दू थी इस लिए ऐसा नहीं हो पाया|

जूनागढ़ मे घुमने लायक जगह {tourist place}:

1.मोहब्बत मकबरा: इस मकबरे की बनावट यूरोपीय, नियो-गोथिक और इंडो इस्लामिक शैलियों का मिश्रण है। यहाँ पर बहारुद्दिन हुसैनभाई की कबर है, जो एक समय जूनागढ़ के नवाब थे।इस का निर्माण 1851 और 1882 के बीच किया गया| इस एमत इमारत के गुंबद और मीनारें इस्लामिक शैली में बनाई गई हैं|

2 .जामी मस्जिद: गुजरात के शशक मोहम्मद बेगडा ने इस मस्जिद को 1470 में जूनागढ़ जितने की ख़ुशी में बनवाई थी|यहां अन्य आकर्षणों में नीलम तोप है जिसे तुर्की के राजा सुलेमान के आदेश पर पुर्तगालियों से लड़ने के लिए बनवाया था। यह तोप मिश्र से दीव के रास्ते जुनागढ़ आई थी।

3 .दरबार हॉल म्यूज़ीयम: यहाँ कई कमरे हैं, जैसे आप हथियार कक्ष, रजत कक्ष, लकड़ी के सामान कक्ष, सिक्के कक्ष, कांच और मिट्टी के बर्तनों का कमरा, नवाब चित्रांकन कक्ष, और हावड़ा और पालकी कक्ष देख सकते हैं। यह जगह प्राचीन वस्तुओं का संग्रह है।

4.अड़ी-कड़ी वाव और नवघन कुआं:

इस  निर्माण चूडासमा राजपूतों ने कराया था, इस की बनावट आम कुवो से हट कर करवाई गई थी  पानी को एकत्र करने के लिए इसकी अलग तरह की संरचना की गई थी। ये दोनों कुएं युद्ध के समय दो सालों तक पानी की कमी को पूरा कर सकते थे।

5.बौद्ध गुफा: यह गुफा चट्टानों को काट कर बनाई गई है, इस गुफा में  खुबसूरत  खंभे, गुफा का अलंकृत प्रवेशद्वार, पानी के संग्रह के लिए बनाए गए जल कुंड, चैत्य हॉल, वैरागियों का प्रार्थना कक्ष, चैत्य खिडकियां स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण हैं।

6.दातार हिल: यह एक प्राकृतिक पहाड़ी है जिस पर भव्य मंदिर और गुमनाम जंगली जीवन मौजूद है। इस के अलावा जमियल शाह दातार की दरगाह भी मोजूद है, दातार पर्वत एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल होनेके साथ मुस्लिम और हिंदू दोनों धर्म के श्रद्धालुओं लिए बहुत ही लोकप्रिय स्थान है।

7.जूनागढ़ म्यूजियम:इस म्यूजियम में ऐतिहासिक और आर्कियोलॉजिकल आवश्यकताएं देखने का मौका मिलता है। इस के अलावा  इस संग्रहालय में हस्तलिपि, प्राचीन सिक्के, चित्रकला और पुरातत्वीय साहित्य के साथ-साथ प्राकृतिक इतिहास का एक भाग भी आप देख सकते है|

8.उपरकोट फोर्ट : एक प्राचीन किला, जो चंपारण सत्याग्रह का एक महत्वपूर्ण स्थल था।इस किले के चारों ओर 200 ईस्वी पूर्व से 200 ईस्वी तक की बौद्ध गुफाएं है।अपरकोट की दीवारें किसी-किसी स्थान पर 20 मीटर तक ऊंची है। किले पर की गई नक्‍काशी अभी भी सुरक्षित अवस्‍था में दिखाई देती है।

9. सक्करबाग उद्यान : भारत का तीसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर, जहां विभिन्न प्रकार के प्राणियों को देखा जा सकता है। जूनागढ़ के नवाब ने 1863 ईस्वी में इस प्राणीउद्यान का निर्माण करवाया था। ताकेगिर के शेरों को लुप्‍तप्राय होने से बचाया जा सके|

10.अशोक के शिलालेख:जूनागढ़ से गिरनार पर जाते समय सड़क के दाईं तरफ अशोक के शिलालेख, स्थित है| जो पाली भाषा मे लिखी हुई है, यह 75 फिट के घिरे मे लगभग 2200 वर्षों से रखी हुई है। यह लिपि अशोक के नाम से प्रसिद्ध है जोके मौर्य वंश से थे।

11.श्री स्वामिनारायण मंदिर : एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर जो गुजराती संस्कृति का अभिन्न अंग है। इस का  मंदिर का निर्माण 1828 में पूरा हुआ था। बाद में नया स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण किया गया जो 2006 में पूरा हुआ|

12.दामोदर कुंड :इस कुंड के चारो तरफ नहाने के लिए घाट को बनवाया गया है|यह माना जाता है के इस जगह  श्री कृष्ण ने महान संत कवि नरसिंह मेहता को फूलों का हार पहनाया था। हिंदू मान्यता के अनुसार, दामोदर कुंड पवित्र झीलों में से एक है,

जूनागढ़ कैसे पोहचे :

वायुयान: जूनागढ़ में जूनागढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जिससे आप नेशनल और इंटरनेशनल यात्रा के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं। जूनागढ़ हवाई अड्डा से आपको नगर से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर जूनागढ़ शहर के केंद्रीय हिस्से तक पहुंचने में मदद मिलती है।

रेलवे स्टेशन: जूनागढ़ रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य रेल लाइन पर स्थित है और यह अनेक शहरों से उच्च विश्रामिक और एक्सप्रेस ट्रेनों के जरिए संबंधित है। इसलिए, आप ट्रेन से भी जूनागढ़ पहुंच सकते हैं।

बस सेवा: जूनागढ़ भी बस सेवा के माध्यम से अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। गुजरात राज्य रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (GSRTC) और निजी बस सेवा जूनागढ़ तक बस सेवा प्रदान करते हैं।

रोड: अगर आप अपनी खुद की गाड़ी या टैक्सी का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, तो जूनागढ़ रोड नेटवर्क के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं। जूनागढ़ अहमदाबाद से लगभग 327 किलोमीटर, राजकोट से लगभग 100 किलोमीटर और पोरबंदर से लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

निष्कर्ष

Junagadh: A Historical Gem-जुनागढ़ के इतिहास के बारे में इस ब्लॉग के माध्यम से बताने की कोशिश की है के जूनागढ़, एक समृद्ध       ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से भरा शहर है। इसकी भव्यता किलों, मंदिरों, और जैन धर्म की स्थापत्य कला में दिखती है। गिरनार पर्वत और आसपास की प्राकृतिक सुंदरता इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक बनाती है। जूनागढ़ न केवल इतिहास का महत्वपूर्ण गवाह है, बल्कि वर्तमान में एक जीवंत पर्यटन स्थल भी है।

 

 

 

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