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kachch-bhuj| कच्छभुज: इतिहास और संस्कृति 2024

kachchh-bhuj kachch-bhuj| कच्छभुज: इतिहास और संस्कृति 2024

आज हम जानेगेके kachch-bhuj इतिहास और संस्कृति के बारे में और साथ ही जानेगे इस के खुबसूरत सफ़ेद रण के बारे में,

कच्छ  भुज {Kutch-Bhuj} भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक जिला है जो उत्तर-पश्चिमी गुजरात के तटीय क्षेत्र में स्थित है। यह जिला इतिहास, संस्कृति, और पर्वाही विरासत के लिए प्रसिद्ध है। कच्छ भूज का इतिहास काफी प्राचीन है और इस क्षेत्र की संस्कृति विविधता और विरासत को प्रकट करती है।

कच्छ का नाम ब्रह्माण्ड के आध्यात्मिक अर्थ में “कच्छ” से आया है। कच्छ इतिहास में मूल रूप से यह क्षेत्र एक समृद्ध व्यापारिक राज्य था, जिसका मुख्य ध्येय व्यापार था। यह स्थानीय व्यापारिक समुदायों के बीच विशेष रूप से खास था और उत्तरी समुद्र तट तथा पास के खंडहर के कारण, यह व्यापारी और शिल्पी लोगों को आकर्षित करता था। इस के अलावा  जिले में अनेक ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, मस्जिद, हिल स्टेशन आदि पर्यटन स्थलों को देख सकते है।

जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष कच्छ महोत्सव  आयोजित किया जाता है। 45652 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले गुजरात के इस सबसे बड़े जिले का ज़्यादातर हिस्सा रेतीला और दलदली है।

कच्छ भुज का इतिहास:

कच्छ के इतिहास में सिन्धु सभ्यता, मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य, वाघेला राजवंश, गुजरात सुल्तानत, मुघल साम्राज्य, मराठा साम्राज्य और ब्रिटिश शासन जैसे विभिन्न साम्राज्यों के शासनकाल में रहा है। इसलिए, इस क्षेत्र का इतिहास अत्यंत संपन्न और समृद्ध है।

1270 में कच्छ एक स्वतंत्र प्रदेश था।  1815 में यह  ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत आया|भारत की स्वतंत्रता के बाद कच्छ महागुजरात  राज्य का जिला बना। उस क बाद 1950 में कच्छ भारत का एक राज्य बना 1956 में

यह मुंबई राज्य के अंतर्गत आया लेकिन भाषा अलग होने के कारण 1960 मुंबई राज्य का महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजन हो गया तथा कच्छ गुजरात का एक हिस्सा बन गया।

भूज शहर, कच्छ का राजधानी शहर है, जो भूमिकारी महाराजा श्री विजयराजेन्द्रसिंहजी ने 1510 स्थापित किया था। भूज में विशेष रूप से प्रसिद्ध महल और मंदिर हैं जो उस समय की संस्कृति और स्थानीय विरासत को दर्शाते हैं।खादिर में हड़प्पा की कलाकृतियाँ मिली हैं, जिससे यह साबित होता है कि भुज हड़प्पा सभ्यता का हिस्सा रहा होगा। भुज में  इमारतों, महलों, मकबरों और अन्य के रूप में कई पुरातात्विक अवशेष अभी भी भुज में मौजूद हैं

66 ईसा पूर्व और 24 ईस्वी के बीच अस्तित्व में रहे एक लेखक स्ट्रैबो के लेखन में भुज का उल्लेख तेज नामक शहर के रूप में किया है, जो तेजराष्ट्र का एक हिस्सा था। भूज शहर की स्थापना स्थानीय शासक महाराव हमीर ने वर्ष 1510 में की थी। वर्ष 1549 में, भुज को अंजार के बजाय कच्छ की राजधानी बनाया गया था।

कच्छ जिला का इतिहास भूभागीय रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भूकंपों, भूस्खलनों और समुद्र तट के तटबंधों के लिए जाना जाता है। 2001 में भूकंप ने इस क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन समुद्र तट पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है।

कच्छ भूज का इतिहास समृद्ध और रंगीन है, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को प्रकट करता है। यह इस क्षेत्र के प्राचीनतम और प्रसिद्ध स्थानों में से एक है और भारतीय सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।

कच्छ का सफेद रण, जिसे अंग्रेज़ी में “The Great Rann of Kutch” के नाम से जाना जाता है, एक विशेष स्थान है जो भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। यह विश्वसनीयता और सुंदरता के साथ भारत के प्रमुख प्राकृतिक धातुरंग है और यहां के दृश्य अनोखे होते हैं।

सफेद रण एक विशाल सामरिक मैदान है जिसका क्षेत्रफल लगभग 7,500 वर्ग किलोमीटर है। यह विश्व के सबसे बड़े मैदानों में से एक माना जाता है। सफेद रण सौर मीठान नदी के समुद्र तट से थोड़ी दूरी पर स्थित है। यह मैदान खुद्रा के विलिन तटबंधों और उनके उच्च धातु-युक्त मिट्टी निकटता के कारण उनिःशेष जल का आवाहन और प्रकोप के कारण विख्यात है।

सफ़ेद रण 

सफेद रण आपार प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त है। इसे विशेष रूप से सर्दियों में देखा जा सकता है, जब जल पृथक्करण के कारण मिट्टी की सतह सुख जाती है और वह सफेद चिकनी पट्टीदार तथा समतल हो जाती है। यहां का दृश्य सप्तरंगी छायांकित होता है जब सूर्योदय और सूर्यास्त के समय रंगों का खजाना देखा जा सकता है।

सफेद रण के अलावा, इस क्षेत्र में वनस्पति, पशु पक्षी और अन्य प्राणियों का अद्वितीय समुदाय भी पाया जाता है। यहां पक्षियों का अवास, उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के रूप में विख्यात स्थान भी है।

इसके अलावा, सफेद रण एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां पर्यटक वन्य जीवों, दिनचर्या और स्वर्गीय सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। यहां रंगबिरंगे पक्षी, खरगोश, विभिन्न प्रकार की ग्रामीण जीवन प्राणियां और सूकर प्रजाति के लिए जाना जाता है।

सफेद रण भारतीय प्राकृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां जाकर लोग इस प्राकृतिक अद्भुतता का आनंद लेते हैं। इसका दौरा करके, आप प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ इस क्षेत्र की मिट्टी के अनोखे रंगों का भी आनंद ले सकते हैं।

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kachch-bhuj {कच्छ भुज} मे घुमने लायक जगह {tourist place}:

1.प्रताप विलास पैलेस: प्रताप विलास पैलेस भुज का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह पैलेस भारतीय स्तरीय शैली में निर्मित है और इसमें महाराजा विजयराजे वजेही द्वारा रची गई खास संस्कृति और कला का प्रतीक है। पैलेस के आसपास के उद्यान और आकर्षणों का भी आनंद लिया जा सकता है।
2.स्वामीनारायण मंदिर:   
भुज का स्वामीनारायण मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो स्थानीय और दूरस्थ पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मंदिर में विशाल दोमेस और भारतीय संस्कृति के विभिन्न आकर्षक स्थल हैं। वर्ष 1822 मेंनिर्मित, यह कई संप्रदाय स्वामीनारायण मंदिरों में से पहला था।

3.कच्छ जैन मंदिर: कच्छ में कई जैन मंदिर हैं, जो जैन समुदाय के लिए प्राचीन और पवित्र स्थल हैं। मुंडवा, भद्रेश्वर, मतंगी वाव जैसे कुछ प्रमुख जैन मंदिर भूज के पास स्थित हैं।
होटल्स से भरा बाजार: भुज के बाजार विभिन्न उत्पादों, खाद्य सामग्री, और हस्तशिल्प के लिए फेमस है। यहां पर्यटक शॉपिंग करके स्थानीय वस्त्र, ज्वेलरी, और आकर्षक सूवनियों का आनंद ले सकते हैं।

4.माता नोरा देवी मंदिर: भुज से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माता नोरा देवी मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह भारतीय धार्मिक स्थलों में से एक है, जो पर्यटकों को अपनी सुंदर वास्तुकला और शांति की अनुभूति के लिए खींचता है।

5.छटा बाग: यह भुज का एक प्रसिद्ध प्राकृतिक बगीचा है, जो सुंदर फूलों, पेड़-पौधों और शांति की भरी हुई वातावरण के लिए जाना जाता है। यह विशाल बगीचा आरामदायक स्थल है, जहां पर्यटक विश्राम कर सकते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।

6.धोरडो वाव: धोरडो वाव भूज से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह भव्य वाव राजपूत वंश के द्वारा निर्मित है और इसमें कला और संस्कृति की भरी हुई इतिहास है। वाव के निकट सुंदर वातावरण भी इसे एक आकर्षक स्थल बनाता है।

7.कोटेश्वर महादेव मंदिर: यह मंदिर भारत का सबसे पश्चिमी मंदिर है और यहां से आप सुर्योदय और सुर्यास्त का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यह मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है जहाँ सूखी भूमि की विशालता समुद्र की अथाह विशालता से मिलती है।

8.भाद्रेश्वर जैन मंदिर: यह एक प्राचीन जैन मंदिर है जो जैन समुदाय  के लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।

9.कच्छ जिवासम पार्क: अगर आप डायनासोर और उनके इतिहासदयेनोसर को जानना चाहते है तो यह जगह पर आप को ज़रूर जाना चाहिए, आपको यहाँ जुरासिक, क्रेटेशियस और तृतीयक जीवाश्मों की कई किस्में मिलेंगी

10.नारायण सरोवर : यह एक पवित्र  झील है जो कच्छ के लगभग 135 किलोमीटर दूर है। इस धार्मिक स्थल पर शांति और ध्यान का अनुभव  किया  जा सकता है। यह सरोवर 444 वर्ग km में फैला है|यह सरोवर जंगली जानवर और पक्षियों को आश्रय प्रदान करता है।

11.काला दुंगर: इसे ‘ब्लैक हिल’ भी कहते हैं,और यह कच्छ के सर्वोच्च बिंदु में से एक है। यहां से आप खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

12.मांडवी बीच: यह भूज से कुछ किलोमीटर दूर है और यहां किनारे की खूबसूरती और साफ नीले पानी का आनंद लिया जा सकता है। इस के अलावा मांडवी बीच अपने कैंपिंग और जल क्रीड़ा सुविधाओं के लिए भी लोकप्रिय है।

13.क्लोक टावर:यह  प्राग महल का एक प्रमुख पहलू है। यह 19 वीं शताब्दी का है,जब गॉथिक संरचना ने इतालवी शैली को विरासत में लिया था। इस जगह पर कई फिल्मो की शूटिंग भी होती है|

14.आइनी महल: यह फोर्ट के पास स्थित है और इसे आईना महल के नाम से भी जाना  जाता है। इसमें आइना और सुंदर कलाकृतियों से सजा हुआ है।पारंपरिक कच्छी शैली में निर्मित, आइना महल अब कला और पुरातन वस्तुओं का एक जीवंत संग्रह है

15.भुजिया फोर्ट:यह फोर्ट भुज के प्रसिद्ध भुजिया पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, और इससे शहर के प्राचीन इतिहास  का अनुमान लगाया जा सकता है।1715 से 1718 तक कच्छ राज्य के राजा राव गोडजी ने इस आश्चर्यजनक किले के निर्माण का आदेश दिया था।

कच्छ भुज मे फिल्म की शूटिंग: 

कच्छ भुज में फिल्मों की शूटिंग कई महलों और धार्मिक स्थलों पर की जाती है। एक प्रसिद्ध फिल्म जिसने कच्छ भुज में शूटिंग की थी, वह है आमिर खान की फिल्म “Lagaan” (लगान)। इस फिल्म का कई सीन्स भुज के इन्हेरिटेंस होटल में शूट किए गए थे। यह होटल एक प्राचीन हवेली है, जो फिल्म के कुछ लोकेशन के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इस के अलावा “हम दिल दे चुके सनम ” सलमान खान की फिल्म की भी शूटिंग यहाँ हुई थी

कच्छ भुज कैसे पहुचे :

कच्छ भुज पहुंचने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग किया जा सकता है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और भारत में प्रसिद्ध है, इसलिए वहां पहुंचना आसान है। निम्नलिखित तरीकों के अनुसार कच्छ भुज पहुंचा जा सकता है:

हवाई जहाज: भुज को स्वतंत्र वायुयान से भारत के कई शहरों से जोड़ा गया है। श्रीनगर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, जयपुर जैसे अन्य शहरों से भी भुज तक उड़ानें होती हैं। जिस भी शहर से आपको यात्रा करनी हो, आप उस से संबंधित वायुयान के जरिए भुज पहुंच सकते हैं।

रेल: कच्छ भुज को रेलवे से भी जोड़ा गया है। भारतीय रेलवे के कई ट्रेनें भुज तक जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख ट्रेनें हैं जो दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद, वाराणसी, कोलकाता और अन्य शहरों से चलती हैं।

बस: कच्छ भुज तक बस सेवा भी उपलब्ध है। गुजरात राज्य के कई शहरों से और भारत के अन्य राज्यों से भी बसें भुज जाती हैं।
सड़क: यदि आप खुद के वाहन के साथ भूज आना चाहते हैं, तो भुज को गुजरात राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य मार्गों के जरिए पहुंचा जा सकता है।

भूज पहुंचने के बाद, आप वहां के स्थानीय पर्यटन स्थलों का आनंद ले सकते हैं और इस समृद्ध और विविध संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठा सकते हैं।

निष्कर्ष 

कच्छ भुज {kachch-bhuj} एक प्राकृतिक सौंदर्यपूर्ण क्षेत्र है, जो विशाल सफेद रण, आकर्षक समुद्र तट, विभिन्न प्राकृतिक धार्मिक स्थलों, वन्यजीव अभ्यारण्यों, और चारों ओर के शोभायमान दृश्यों के लिए जाना जाता है।
कच्छ भुज भारतीय संस्कृति के विविधता को प्रदर्शित करता है। यहां विशेष रूप से प्राचीन महल, मंदिर, जैन धरोहर, और स्थानीय कला-संस्कृति की अनेक स्मृतियाँ हैं।

इस का इतिहास भूभागीय रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र वायुयान, रेल, और सड़क मार्गों के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे पर्यटकों को आसानी से यहां पहुंचने में सहायता मिलती है।
कच्छ भुज का खाद्य विभाजन भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां पर्याप्त संख्या में खास डिशेज और मिठाइयां हैं जो भोजन से अलग एवं स्वादिष्ट होती हैं।
कच्छ भुज के अनुभव भरे पर्यटन स्थल और आकर्षण पर्यटकों को मनोरंजन और शांति का सुंदर अनुभव प्रदान करते हैं।कच्छ भुज एक सांस्कृतिक और प्राकृतिक समृद्धि का प्रतीक है और इसे यात्रा करके पर्यटक भारतीय संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं।

 

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